Book Title: Bhagvati Sutram Part 04
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
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शतक १२. ( उद्देशक १ लो.)
अतिः
॥१०१९॥
REASEACANCE
संखे १ जयंति २ पुढवि ३ पोग्गल ४ अइवाय ५ राहु ६ लोगे य ७ । नागे य ८ देव ९ आया १० मारसम स : सए दसुद्देसा ॥१॥
P१.१९॥ [ उद्देशक संग्रह-] १ शंख, २ जयंती, ३ पृथिवी, ४ पुगल, ५ अतिपात ६ राहु, ७ लोक, ८ नाग, ९ देव अने १० आत्मा
विषयो संवन्धे दश उद्देशको बारमा शतकमां कहेवामां आवशे. है। तेणं कालेणं २ सावस्थीनाम नगरी होत्था वन्नओ, कोहए चेहरा बन्नओ, तत्थ णं सावत्थीए नगरीए
बहवे संखप्पामोक्खा समणोवामगा परिवसंति अड्डा जाव अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा जाव विह रंति, तस्सणं संखस्स समणोवासगस्म उप्पला नाम भारिया होत्था सुकुमाल जाव सुरूवा समणोवासिया अ. भिगयजीवा २ जाव विहरह, तत्थ णं सावत्थीए नगरीए पोक्खलीनाम समणोवासए परिवसह अड्डे अभिगयजाव विहरह, तेणं कालेणं २ सामी समोमढे परिसा निग्गया जाव पज्जुषा, तए ण ते समणोबासगा इमीसे जहा आलभियाए जाव पज्जुवासह, तए णं समणे भगवं महावीरे तेसिं समणोबासगाणं तीसे य महति. धम्मकहा जाव परिसा पडिगया, तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हडतुडु० समण भ० म०वं.न. न० पसिणाई पुच्छति प०अट्ठाई परियादियंति अ०२ उडाए उठेति
CHAURAHARIRECTRESS
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