Book Title: Aagam 44 Nandisutra Choorni
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 65
________________ आगम (४४) "नन्दी- चूलिकासूत्र-१ (चूर्णि:) .................मूलं [७] / गाथा ||८२-८४|| ............ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र- [४४], चूलिकासूत्र- [१] "नन्दीसूत्रस्य चूर्णि: प्रत सूत्रांक [१७] गाथा ||८२ शा 15 एवमसंखेज्जाओ चित्रीतरगंडियाओ णेयत्वा । जाब जियसन्त राया अजियजिणपिया समुप्पण्णो ॥ ३२ ॥ एवं गाहाहि चित्तरगंडिया चित्रान्तरनन्दाचूषा सम्मत्ता । इमा एतासिं ठवणा - गण्डिका ॥६॥ एतिया लक्खा सिद्धा-२४१४१४ १४|१४|१४|१४ १४ १४ १४| एवं जाव असंखेज्जा पुसिसजुगा सिद्धा 1 एत्तिया सव्वदृगया- ||२|३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ १०] एसा पढमा, अत्मे परं सिद्धा लक्खा [8] IPI सिद्धा एत्तिया लकखा-१/२ | ३ | ४ ५ ६ ७ ८ ९ सवढे लक्खा जाव असंखेज्जा पुरिसजुगा | सव्वट्ठमि गया एत्तिया लक्खा १४ १४ | १४ | १४ १४ | १४ १४ १४ | १४ | सिद्धा, एसा बीया, अओ परं एत्तिअलक्खा सिद्धा सव्वद्वेवि एचिया एवं जाव असंखेज्जा आवलिया। आवलिया एगादि एगुत्तरं दोवि गच्छति | २ | ३ ४ ५ ६ ७ ८ | ९ | दरगमणाओ पंचासीइमे ठाणे चिट्ठति, 81 |२/३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ एसा तझ्या गंडिया, अतः परं चतस्रो है। गडिया एकोत्तरा प्रदश्यते ।। दीप अनुक्रम [१५० RECRUGCSCRECASSES ॥६011 १५४] ~654

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