Book Title: Aagam 44 Nandisutra Choorni
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
(४४)
"नन्दी- चूलिकासूत्र-१ (चूर्णि:)
................मूलं [१७] / गाथा ||८२-८४|| ............ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र- [४४], चूलिकासूत्र- [१] "नन्दीसूत्रस्य चूर्णि:
प्रत सूत्रांक
[५७]
गाथा
PORRORDER
||८२
चित्रान्तर| वि असंखा पुरिसजुगा होति गायब्वा ।। ३ ।। जाव य लक्खा चोइस सिद्धा पण्णास होति सव्वट्ठे। पण्णासटाणेवि य पुरिसजुगा होतिs
गण्डिका नन्दीचूणा संखेज्जा ॥४॥ एगुत्तरा दुलक्खा सबढाणे व जाव पण्णासा। एकेक्कुत्तरठाणे परिसजुमा होतिऽसंखेज्जा ॥५॥ विपरीयं सम्बा ॥५॥ चोरसलक्खा य निम्बुलो एगो। सव य परिवाडी पण्णासा जाब सिद्धीए ॥६॥ तेण परं लक्खादिवो दो ठाणा य समग बरुचति।
* सिवगतिसम्वद्वेहिं णमो तासि विधी होइ॥७॥दो लक्खा सिद्धीए दो लक्खा जरवदीण सबढे । एवं सिलपथपत पंच आव मक्खा | असंखेजा ॥८॥ सिवगसिसम्बद्वेदिविसंतरगडिता ततो चतरो। एगा एगुचरिया एगादि विविधत्तरा तझ्या ॥ ९॥ तविएगादि तिओतर तिगमादि ओत्तरा पत्ये या पढमाए सिद्धेको दोष्णि य सम्वट्ठसिद्ध मि॥१०॥वचो तिणि णरिता सिद्धा चत्तारिहोंति सबढे। इस जाव असंखेमा सिवगतिसम्बट्ट सिद्धहि ॥ ११ ॥ वार विउत्तराए सिद्धेको - विणि होति सबढे । एवं पंच य सत्त व जाव | असंखेज दो तिमि ॥ १२ ॥ एग चड सच दसगं नाव असंखेग्ज होंति दो तिण्णि | सिवगतिसम्वहिं तिउत्तर। एत्य यज्वा ॥१॥ साहे तियगाविधिउत्तराए अऊणतीसं तु तिबग ठाव । पढमे उणाथि खेवो सेससु इमे भवे खेवा ॥१४॥'दुग पण नवगं तेरस सत्तरस दुबीस बरंच अद्वेष । पारस चोरस अथ अळूवीस छब्बीस पणुवीसा ॥ १५ ॥ एकारस तेवीसा सीयाला सवरि सवहत्तरी वय ।। इग दुग सत्तासीती पगत्तरिमेव बावड़ी॥१६॥ अवत्सरि चठवीसा वायालसयं वहेपब्बीसा | एए रासीक्वेवा विमर्शता महाक-11 मसो॥१७|| सिवगतिसब्वहिंदोदो ठाण विसमुत्तराणेया। जावूणतीसठाणे लणतीस पुणवीसाए ॥१८॥ विसमुत्तरा य पढमे एवमसमाविसमुसरा णेया। सव्वहषि विक अण्णाए आदिमं ठाणं ॥१५॥ अउणत्तीसं बारा ठावे णस्थि पढम पक्खेवो । सेसे सगवीसाएका
॥ ५९॥ सव्वत्य दुगाविसखियो ॥२०॥ सिषतिपटमारीए वितियाए वह य होति सबढे । इस पगंतरियाई सिक्यतिसम्बठापाई ॥२१॥
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दीप अनुक्रम [१५०
१५४]
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