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तेतीस बोल का थोकड़ा
उत्तराध्ययन सूत्र, समवायांग सूत्र तथा दशाश्रुतस्कंध आदि में
तेतीस बोल का अधिकार चले सो कहते हैं
(1) पहले बोले - एक प्रकार का असंयम - सभी प्रकार के आस्रव में प्रवृत्त होना ।
(2) दूसरे बोले-दो प्रकार का बन्धन - राग बन्धन और द्वेष
बन्धन ।
(3) तीसरे बोले- तीन प्रकार का दण्ड-1 मन दण्ड, 2 वचन दण्ड और 3 काय दण्ड ।
तीन प्रकार की गुप्ति - 1 मन गुप्ति, 2 वचन गुप्ति और 3 काय गुप्ति ।
तीन प्रकार का शल्य - 1 माया शल्य, 2 निदान शल्य और
मिथ्या-दर्शन शल्य ।
गर्व ।
तीन प्रकार का गर्व - 1 ऋद्धि गर्व, 2 रस गर्व और 3 साता
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