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________________ 1. संज्ञी में 2. असंज्ञी में 3. नो संज्ञी नो 1 2 7 2 1 असंज्ञी में अल्पबहुत्व - सबसे थोड़े संज्ञी, उनसे नो संज्ञी नो असंज्ञी अनन्त गुण और उनसे असंज्ञी अनन्त गुण हैं । 1. भव्य में 2. अभव्य में 3. नो भव्य नो अभव्य में संज्ञी द्वार जीव गुणस्थान योग उपयोग लेश्या 2 12 15 10 6 12 2 6 6 1. चरम में 2. अचरम में अल्पबहुत्व भव्य द्वार जीव गुणस्थान योग उपयोग लेश्या 14 15 12 6 14 13 6 6 0 0 अल्पबहुत्व[-सबसे थोड़े अभव्य, अनन्त गुण और उनसे भव्य अनन्त गुण चरम द्वार जीव गुणस्थान योग उपयोग लेश्या 14 14 15 12 6 14 121 13 8 6 -सबसे थोड़े अचरम, उनसे चरम अनन्त गुण हैं। 14 120 0 2 0 उनसे नो भव्य नो अभव्य 58 हैं I 20-21. अभव्य और अचरम में एक मिथ्यात्व गुणस्थान होता है।
SR No.034370
Book TitleRatnastok Mnjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year2016
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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