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________________ 卐 चौमासी व्याख्यान । काठीयानुं खरूप ॥४६॥ मानेली राणीयो साथे राजा जरुखाने विषे बेसी हास्यविनोद करतो हतो, तेवामां कोटवाल कोइक चोरने बांधी शूली उपर चडाववा लइ जतो हतो, तेनुं दीन मुख देखी एक राणीने दया आववाथी राजाने कयुं के स्वामिन् ! तमे मने पूर्वे वर आपेलो छे ते आपो, एटले राजाये आपवाथी तेणे चोरने एक दिवस छोडाव्यो ने पोताने घरे लइ जइ नवरावी धोवरावी खानपान करावी सो रुपीआनो खर्च कर्यो, तेज प्रमाणे बीजीये बीजे दिवसे राजा पासे मागणी करी बसो रुपीआनो खर्च | कयों, त्रीजीये त्रीजे दिवसे त्रणसोनो खर्च कर्यो, एवी ज रीते चोथीये पांचमीये छठीये अने अनुक्रमे सातमी राणीये हजार रुपीआनो खर्च करी सातमे दिवसे चोरने बचाव्यो, हवे ते वातनी आठमी अणमानेती राणीने खबर पडवाथी ते राजा पासे आवीने कहे छे के, में तो तमारा पासे कोइ दिवस कांइपण माग्युं नथी, माटे जो तमे मने आपो तो मागणी करूं? राजाए कयुं खुशीथी कर. त्यारे आठमी अणमानीती राणीए मांगणी करी के, आ चोरने जीवितदान द्यो. तेणीना वचनथी तथा चोरना आयुष्यना प्रबलपणाथी तेने छोडी मुक्यो, तेथी तेने राणी पोताने घरे लइ गइ अने सामान्य भोजन करावी, तेणीये तेने हितशिक्षा आपी के, चोरी करनारनो कोइ विश्वास करतुं नथी, घरबार दुकानना आंगणा उपर कोइ चडवा | देतुं नथी, इहलोकने विषे अपवाद अपयश यष्टि मुष्टि दंडादिकना प्रहारो शस्त्रोना घा अने शूलीनी वेदना भोगववी पडे छे, परलोकने विषे रौरव नरकादिना दारुण दुःखोने भोगववा पडे छे, अने संसारमा परिभ्रमण करवु पडे छे, माटे चोरी करवी युक्त नथी. ते सांभली चोर तेना पगमा पडीने कहे छे के, हे माताजी ! त्हारं कहेQ सत्य छे. तें मने जीवितदान आपी बचाव्यो छे, तो हुँ चोरीना पच्चखाण करुं छु, तुं म्हारी परम उपकारी छे. ते मने न छोडाव्यो हत तो म्हारा 34 ।卐gya ॥४६॥
SR No.034170
Book TitleChaumasi Vyakhyan Bhashantar Tatha Ter Kathiyanu Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManivijay
PublisherJain Sangh Boru
Publication Year1936
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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