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________________ काठीयार्नु स्वरूप ॥ चौमासी काउस्सग ध्यानमा रह्यो, समय जाणी अभयाये स्व धावमाता पंडिताने सुदर्शनने पोताना पासे लाववानुं कह्यु. पंडि व्या- ताये घणी समजावी के ए काम न कर ते त्हारा सन्मुख पण जोनार नथी, राजाने खबर पडशे तो त्हारा ने तेना पर जुलम ख्यान ।। गुजारशे. एम कह्या छतां पण अभया राणी नहि मानवाथी कामदेवनी मूर्तिना बानाथी वाहनना उपर सुदर्शनने चडावी ॥४४॥ लावीने अभया पासे मुक्यो, तेणे वारणादिक बंध करी विषय माटे प्रार्थना करी छतां पण लगार मात्र सुदर्शन डग्यो नहि, त्यारे पोताना समग्र शरीरथी तेनुं आलिंगन कयु, छता पण लवलेश मात्र चलायमान न थयो तेथी क्रोध पामेली अभयाये पोताना नखथी पोतानुं शरीर वलूरी नाखी पोकार पाडयो के, दोडो रे दोडो, आ पापी म्हारी लाज लुंटवा आवेल छे, तेथी रक्षक लोकोये पोकार सांभली त्यां आवी तेने पकडी बांधी राजा पासे लइ गया. धिक्कार छ ! स्त्रीयोना पापिष्ट चरित्रने ! राजाये विचायु के आ पुरुषने विषे आq अपलक्षण संभवे नहि, छतां पण म्हारे पूछq जोइये. हवे राजाये वारंवार पूछवाथी सुदर्शने अभयानी दयाथी मौन कयु, तेथी क्रोध करी राजाये तेने दोषित जाणी शूली उपर चडाववानो हुकम कर्यो अने कह्यु के रासभना उपर चडावी विडंबना करी तेनो नाश करो. तेथी आ रक्षक लोको तेनी विडंबना करता करता लइ जाय छ, ते तेनी स्त्री मनोरमाये देख्यो तेथी तेणीये परमात्मा पासे जइ ज्यांसुधी उपसर्ग थकी मुक्त न थाय, त्यांसुधीनुं अनशन धारी काउस्सग्ग कर्यो, त्यारबाद राजाना लोकोये तेने शूलिपर चडाव्यो. ते शूली सिंहासन थइ गइ, तेथी ते लोकोये तेनो 5 वध करवा खड्गना प्रहारो कर्या. ते मस्तकने विषे मुगट थइ गया, गलाने विषे हार थइ गया, कानने विषे कुंडलो थइ त] गया, हाथने विषे कडा थइ गया, देवताओ आकाशने विषे गुण गावा लाग्या, आवी आश्चर्यनी वात आ रक्षक लोकोये र卐 卐卐卐卐 卐卐 ॥४४॥
SR No.034170
Book TitleChaumasi Vyakhyan Bhashantar Tatha Ter Kathiyanu Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManivijay
PublisherJain Sangh Boru
Publication Year1936
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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