SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 79
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 卐卐卐' प्रतिक्रमण करवानो टाइम थयो त्यारे केदखानाना रक्षण करनाराओने पचाश पचाश सोना महोरो आपी प्रतिक्रमण कयु. एक दिवस पण नहि छोडता ज्यांसुधी केदखानामा रह्यो त्यांसुधी उपरोक्त प्रमाणे प्रतिक्रमण कयु, एकदा पीरोजशाना हाथमा कोइके वे रत्नो आप्या तेणे श्रेष्टिने परीक्षा करवा आप्या, तेथी श्रेष्टिये तेनी यथार्थ परीक्षा करी एटले पीरोजशाहे कह्यु के, त्रीजु रत्न तुं एम कही प्रसन्न थइ तेने केदखानाथी मुक्त कयों अने हसीने कद्दु के केदखानाना अंदर त्हारो प्रतिक्रमणनो नियम क्यां गयो. त्यारे तेणे कयुं के म्हारो नियम कोइ दिवस खाली जाय ज नहि. पीरोजशाहे कयुं के केवी रीते ? त्यारे श्रेष्टिये कह्यु के एम न कहेवाय. अभयदाननुं वचन आप. पीरोजशाहे वचन आपवाथी यथास्थित वात कही, तेथी पीरोजशाह प्रसन्न थइ गयो ने श्रेष्टिने बहु ज इनाम आप्यु. आथी केदखानाना रक्षक लोको बहु ज भय पाम्या ने श्रेष्टिने सोनामहोरो पाछी आपी परंतु श्रेष्टिये घणां ज आग्रहपूर्वक ते सोना महोरो तेओने ज पाछी आपी अने कह्यं के अहो ! आ धन ते अ॒ हिसाबमा छे, कारण के तमारी सहायथकीं में तो अमूल्य प्रतिक्रमण करेलुं छे, माटे हे महानुभावो! तमारो उपकार मार्नु छ, आवी रीते कही तेओने आनंदित कर्या अने पोते प्रतिक्रमणना दृढ नियमने पाळी सद्गतिगामी थयो.. एक समये जीवो एवा हता के सोनामहोरोने कांकरा गणीने पण प्रतिक्रमण करता, आधुनिक समये जीवो एवा छे के प्रतिक्रमण करता तेने पेटमा पीड आवे छे, पोते करता नथी, बीजाने करवा देता नथी, त्रीजाना प्रणाम पाडी नाखे छे ने चोथाने भरमावे छे के, माथाफोड शाने फोकट करो छो. तेमां कांइ पण नथी, आवी रीते पोते वटली बीजाने वटलावी गप्पा सप्पा मारी विना कारणे पापना पोटला बांधे छे, पण पापना पोटलाना नाश करनारा, सारी गति आप
SR No.034170
Book TitleChaumasi Vyakhyan Bhashantar Tatha Ter Kathiyanu Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManivijay
PublisherJain Sangh Boru
Publication Year1936
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy