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________________ 可听听时听听可騙騙 叶贤 可监t तेनु पाणि ग्रहण कयु. हवे राजा राज्यनो लोभी थयो. तेथी जेटला पुत्रो उत्पन्न थाय छे, ते बधाने मारी नाखवा लाग्यो. | आवी रीते काल व्यतीत थता, एकदा प्रस्तावे कमलावती राणी सगर्भा थइ, त्यारे तेणे पोतानी दासीना साथे मंत्रीने कहे वराव्यु के, कोइ पण रीते एकाद पुत्रनु रक्षण कर, के आगल उपर कोइ पण प्रकारे साहायभूत थाय, ते वात मंत्रीये मान्य | राखी. एवा अवसरे अन्यदा भवितव्यताना योगे पोट्टिलाये पुत्रीने अने कमलावतीये पुत्रने, समकाले जन्म आप्यो. मंत्री तेने पोताना खास गुप्त माणसो पासे अदलो बदलो करावी दीधो, त्यारबाद राजाये पूछ्युं के राणीने शु जन्म्यु, त्यारे परिवारना लोकोये कयु के, हे महाराजा, पुत्रीनो जन्म थयो छे. मंत्रीये कुमारनुं नाम कनकध्वज पाडयुं, अनुक्रमे राजानुं मरण थवाथी कमलावती राणीये ने मंत्रीये तेने राज्य गादी उपर स्थापन कर्यो, ते कनकध्वज कृतज्ञ हतो, तेथी तमाम राज्य कार्योने विषे मंत्रीने ज जोडतो हतो, हवे पोट्टिला मंत्रीने प्रथम वल्लभ हती, पण कोइ कार्यथी पाछलथी तेना उपर अप्रीति | थइ, तेथी तेणीये पोताना स्वामि मंत्रीने वश करवा माटे कोइक साधवीयोने कह्यु, त्यारे साधवीयोये धर्मोपदेश दीधो, तेथी बोध पामी, अने दिक्षा लेवाने माटे मंत्री पासे आज्ञा मागवा लागी, त्यारे मंत्रीये कयु के, दिक्षा लइ देवलोकने विषे व्रत पालीने जाय, त्यारे मने आवीने बोध करे तो तने रजा आपुं. पोट्टिलाये ते वात मान्य करी अने दिक्षा लइ | पालीने देवलोकमा गइ, त्यारवाद ज्ञानवडे करी पोतानी प्रतिज्ञा करेली छे ते जाणी, तेने सत्य करवा माटे ते वारंवार | | मंत्रीने बोध करे छे, पण मंत्री विषय लोलुपी होवाथी साधु धर्म तेम ज श्रावक धर्म आ बन्नेमाथी एक पण धर्मने | | अंगीकार करतो नथी. तेथी देवे विचार कर्यो के, दुःख विना धर्म उदय आने आवनार नथी. तेम ज बोध पण |
SR No.034170
Book TitleChaumasi Vyakhyan Bhashantar Tatha Ter Kathiyanu Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManivijay
PublisherJain Sangh Boru
Publication Year1936
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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