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________________ चौमासी व्या ख्यान ।। सी तथा छेडाओ उपर पाटीयामां सात सात खीलीयो बन्ने बाजु जडी अने बने पगमां छिद्रवाली पावडीयो पहेरी, हाथमां ढाल तरवार लइ, जल्दीथी ते उंचा वांस उपर चड्यो, अने मोटा मोटा पैसावालाना महान् महेलोना शिखर उपर म्होटो पवननो सपाटो लागवाथी जेम उपर रहेला बनावटी मयूरो-मोरो नाच करे, तेना पेठे इलाची कुमार नाचवा लाग्यो. ते उंचे उछली उछली व्हार नीचे खीलीयो छे, तेमां पगनी पावडीयोना छिद्रो भराववा लाग्यो अने जेम जेम विविध प्रकारनी कलाथी नाचे छे तेम तेम पोतानी मनकामना पूर्ण करवानी इच्छावाली नटडी पण नीचे रही ढोल वगाडी मधुरं ध्वनीथी गान तान करी सभाना लोकोना मनने रंजन करवा साथे, इलाची कुमारने शूरातन चडाववा लागी. त्यारबाद पोतांना नाटकनी कलाथी प्रेक्षक लोकोने रंजन करी दान लेवानी इच्छावालो इलाची कुमार वांस थकी हेठो उतयों, तमाम लोकोने दान आपवानी इच्छा थइ गइ, पण राजाये प्रथम दान आप्याथी अमो आपीये ते उचित गणाय, एवं समजी राजा शुं दान आपे छे ते जोवाने माटे आतुर थंइ रह्या, हवे ज्यारे इलाची कुमार दान लेवा गयो, भा त्यारे राजानी दानत बगडी के जो हुं एने दान आपीश तो ते लइने चाल्यो जशे आ रूपाली नाटकणी म्हारे हाथ आवशे नहि, आवुं रूप, आर्बु गानतान, आवा नखरा, आवा हावभाव, आवो मधुरो कंठ, देवांगना समान बीजी स्त्रीयोमां होय नहि, आ स्त्रीरत्न, नाटकीयाने त्यां न शोभे, आ रत्न तो म्हारे घरे ज शोभे, पण केम करवुं. दुनियानी लाज आडी आवे छे. माटे कांइक व्हानुं काढी फरीथी नाटक करावं. म्हारा पुन्य कर्मना उदये कोइ पण प्रकारे नाचतो नाटकीयो हेठो पडे ने तेनुं मरण थाय तो, आ नाटकणी विना प्रयासे म्हारा हाथमां आवे आवी दुष्ट भावना राखी दान लेवा आवनार ॥ ३२ ॥ मा व्या ख्या न तेर काठीयानुं र स्वरूप ॥ 4. ए ॥ ३२ ॥
SR No.034170
Book TitleChaumasi Vyakhyan Bhashantar Tatha Ter Kathiyanu Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManivijay
PublisherJain Sangh Boru
Publication Year1936
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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