SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौमासी व्याख्यान॥ काठीयार्नु र | स्वरूप॥ ॥२२॥ माटे हे दत्त ! निश्चय यज्ञ करनार नरकने विषे ज जाय छे, नरक विना बीजी एक पण तेनी गति नथी. आq सांभळी | वळी दत्ते कधु के हुं मरीने क्यां जइश ? त्यारे गुरुये कह्यु के, हे राजन् ! तुं आजथी सातमे दिवसे मरीने नरकमां जशे. ते पण कुंभीपाकमां पडी महावेदना सहन करतो नरकमां तुं जइश. फरीथी दत्ते पूछ्यु के तेमां प्रमाण शुं! त्यारे गुरुये कडं के मरण पहेला थोडा वखतमा त्हारा मोढामां मनुष्यनी विष्टा पडशे, ने त्यारबाद हारुं मरण थशे. बळी फरीथी दत्ते पूछ्यु के त्हारी कइ गति थशे, ते हे मामा ! तुं मने कहे, त्यारे गुरुये कयुं के, हुं इंहांथी कालधर्म पामी स्वर्गने विषे जइश एवा गुरुना वचनो सांभळी क्रोध करी तरवारथी गुरुनु माथु कापी नाखवानो विचार करी दत्त चिंतवना करवा लाग्यो के, हुँ सात दिवसथी वधारे दिवस जीविश तो तेनुं मस्तक कापी नाखीश, त्यारवाद सूरीश्वर चाल्या न जाय तेथी तेना उपर घणां प्रकारना चोकीपेरा मुकी पोताना महेलमा जइ संनद्धबद्ध थयेला रक्षण करनारा कोटी पुरुषोथी वींटाइ रह्यो. एवी रीते छ दिवस तेणे पुरा कर्या, हवे दिवस सातमने हतो छतां पण तेने आठमो दिवस बुद्धिना विपर्यासथी जाणी. हर्ष पामेलो दत्तराजा घोडा उपर बेसीने फरवा राजमार्गमां नीकल्यो ते अवसरे राजमार्गनी शुद्धि निमित्ते पोताना सेवकोने | घणांने राजमार्ग शुद्ध करवा निमित्ते राख्या हता, ते लोको कचरो, पत्थरा, कादव विगेरे अनेक दुर्गधी वस्तुओने दूर करी राजमार्गने साफ करीने चारे वाजु तपास करी रह्या हता. तेवा समयमां कोइक माली पुष्पनो करंडीयो भरीने राजमार्गने विषे चाल्यो जतो हतो, एवामां भेरीना शब्दने सांभल्यो, ते शब्दने श्रवण करतानी साथे ज तेने अकस्मात् वडी नीतिनी शंका थइ, तेथी एक पगलं पण आगल भरी न शक्यो, तेम ज लोको पण रस्तामा बहु ज भेमा थयेला हता, तेथी आगल ॥ २२॥
SR No.034170
Book TitleChaumasi Vyakhyan Bhashantar Tatha Ter Kathiyanu Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManivijay
PublisherJain Sangh Boru
Publication Year1936
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy