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वधी शकाय तेम होतुं, एटले कोइने पण खबर न पडे तेम शीघ्रताथी ज क्षणवारमा वडी नीति करी, तेना उपर फुलनो ढगलो करी एकदम त्यांथी चाल्यो गयो, हवे राजा दत्त घोडा उपर बेसी चाल्यो आवे छे, तेवामां तेना घोडानो पग ते विष्टा उपर फुल ढांकेला ढगला उपर पडयो, तेथी विष्टानो छोटो उडीने राजाना मुखमा पड्यो, तेथी राजाये जाण्यु के आजे हजी तो सातमो ज दिवस छ, पण आठमो नथी, हुं मति भ्रमथी ज आजे महेलना बाहार नीकल्यो छु, माटे जल्दीथी महेलमां पहोंची जाउं, आवो विचार करी जेवो पाछो फरे छे, तेवामां दत्ते राज्य थकी भ्रष्ट करेल जीतशत्रु राजाना भक्त लोकोये राजाने पांजरु तोडी नाखी बाहार छुटो कों, एटले ते राजाना उत्तम सेवको हता, तेने मंत्रीये. आदेश कयों के जाओ दत्तने गांधी लावो. एटलं कहेतानी साथे सेवकोये महेलमां जता एवा दत्तने पकडी बांधी मुश्केटाट करी जितशत्रु राजाने सोंप्यो, एटले हर्ष पामेला राजाये तेने कुंपीपाकमां पचावी अत्यंत मुंडे हवाले मार्यो, तेथी महापाप करनार दत्त आर्त-रौद्र ध्यानथी मरीने नरकमां गयो अने अनेक दुःखनो भोक्ता थयो, कारण के हिंसा करनार जीवोनी सारी गति थती नथी अने कालकाचार्यसूरि महाराजा सत्यवचनथी स्वर्गगतिने विषे गया. दुनियामा सत्यना समान बीजो एक पण धर्म नथी, कारण के सत्यने विषे ज सर्वे धर्मोनो समावेश थइ जाय छे. कयुं छे के
पारदारिक-चौराणामस्ति काचित्प्रतिक्रिया । असत्यवादिनः पुंसः, प्रतिकारो न विद्यते ॥१॥
भावार्थ:-परस्त्री सेवन करनारानो तथा चोरी करनारानी प्रतिक्रिया कांइक छे, परंतु असत्य बोलनार माणसनी काइ प्रतिक्रिया नथी. माटे ज उत्तम जीवोने असत्यपणुं त्याग करी सत्य वचन बोलवु उचित छे. कयुं छे के
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