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________________ 5EE卐卐39 घर मेतीनी झुपडीनी सामु हाँ, श्रेष्टिनी स्त्रीना घरनुं कांइ कामकाज करता. मेतीने तेणीना साथे प्रीति थइ. हवे बन्नेने साथे गर्भ रहेवाथी एक ज दिवसे प्रसव थयो. प्रीतिवाली मेतीये श्रेष्टिनी स्त्रीने एकांतमा पोतानो पुत्र आप्यो अने मरण पामेली पुत्री पोते लीधी मेतीनो पुत्र होवाथी श्रेष्टिनीये तेनुं नाम मेतार्य पाडथु. हवे मेतार्य त्यां वृद्धि पाम्यो ने सारी रीते विद्याओ ने कलाना कलापने जाणवावाळो थयो, ते मेतार्यने दिक्षा अपाववा माटे देवताये घणो बोध कों पण पूर्व भवमा चारित्रने विषे संयमनी बहु ज निंदा-जुगुप्सा करवाथी तेने लवलेश मात्र पण बोध न थयो, जेथी देवताये विचार को के कष्टमां नाख्या शिवाय बोध नहि पामे, हवे श्रेष्टिये आठ सारा शेठीयाओनी आठ कन्याओ साथे मेतार्यनो विवाह कयों. ज्यारे शुभ मुहर्ते लग्न दिवसे मेतार्य शिविकामां बेसी आठे कन्याओगें पाणिग्रहण करवा चाल्यो, त्यारे देवताये तेमने बोध करवा ते मेतीना धणी वेढनां शरीरमा प्रवेश कर्यो, तेथी ते रुदन करतो बोल्यो के अरेरे ! महारे पुत्री जो जीवती रही हत तो, हुं पण तेने म्हारी ज्ञातिमां आडंबर सहित परणावी संसारनो ल्हावो लहेत. मेतीये आवा प्रकारना पोताना स्वामीना वचनो सांभली तेणीये पुत्र पुत्रीनो अदलो बदलो करवानी सर्व वात पोताना स्वामीने कही तेथी ढेढ तुष्टमान थयो अने भरबजार वच्चे मेतार्यने शिविकाथी नीचो पाडी कहेवा लाग्यो के हे लोको ! तमो सांभलो, आ मारो पुत्र छे. धूर्त एवी शेठनी स्त्रीए म्हारी स्त्रीने भोळवी छोकरो पोते लीधो अने मरण पामेली पुत्री.म्हारी स्त्रीने आपी छे. म्हारो पुत्र बीजाथी केम लेवाय. आ म्हारा पुत्रने में अंगीकार कयों छे. ढेडे मेतार्यने कह्यु के चाल बेटा आपणे घेर, तने हुं आपणी नातनी सरस कन्या परणावी हुं कृतार्थ थइश. वाणियाओनी कन्याथी आपणी नात वटलाह जाय, एम कही बळात्कारे पोताने
SR No.034170
Book TitleChaumasi Vyakhyan Bhashantar Tatha Ter Kathiyanu Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManivijay
PublisherJain Sangh Boru
Publication Year1936
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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