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________________ आवी अने मुनिना शब्दने सांभळी राजा तथा पुरोहितना पुत्रो तुरत उपरथी नीचे आवी जल्दीथी बन्ने जणा सागरचंद्र मुनिन उपर लइ जइ कहेवा लाग्या के, तने नाचता आवडे छे त्यारे उत्तरमा मुनिये हा जणाववाथी तेओये नाचवानुं कर्तुं, त्यारे मुनिये कह्यु के हुं नाचु छु, पण तमे ताल वगाडो. ते वखते बन्ने जणाने हस्तताल बराबर नहि वगाडता आवडवाथी ते बन्ने दुष्टोने हाथ पगना तलीयाथी मांडीने शरीरनी संधियो सांधानी नसो उतारी दइ मुनि उद्यानने विषे गया, ते समये बन्ने जणानी आवी स्थिति जोइ राजाये जाण्यु के क्यांकथी सागरचंद्र मुनिये आवीने आ कर्त्तव्य करेलुं छे. एम जाणी उद्यानने विषे जइ मुनियोने नमस्कार करी कयुं के हे महानुभावो ! बालकना उपर दया करी सज्ज करो, त्यारे मुनियोए कयुं के अमारो अपराध कर्यो होय ते अमो सहन करीये, पण अमोये तो तेने काइ करेल पण नथी, तेम ज अमे कांइ जाणतां पण नथी, परंतु बीजा मुनि आजे अहिं आवेला छे, तेने तमो पुछो. आई कहेवाथी सागरचंद्र मुनि पासे जइ नमस्कार करी पुत्रोना उपर दयाभाव राखी सज्ज करवानुं कयुं, त्यारे सागरचंद्र मुनिये कयु के हे राजन् ! तुं तो तेना अपराधने सहन करे छे, पण हुं तो तेना अपराधने कदापि सहन करनार नथी. मुनियोनी निंदा करवी, तेमने कष्ट आपq ते शुं थोडो जुलम छे, माटे तेनुं पाप तेने भोगववा द्यो. राजाये बहु ज कहेवाथी, आजीजी घणी करवाथी मुनिये कह्यु के बन्ने जणा दिक्षा ले तो ज तेनो छुटको छे, अन्यथा नहि. हवे राजाये जइ बन्ने जणाने पूछयु के दिक्षा लीधा विना तमो सज्ज थनारा नथी. सज्ज नहि थाओ तो महा दुःख वेठी तमो मरण पामशो. तेथी बन्नेये हा पाडी, त्यारे मुनिये तेमने संधियो सांधा बेसाडी सज्ज कर्या अने बन्नेने दिक्षा आपी बीजी जग्याए विहार कर्यो, त्यारबाद राजानो पुत्र हतो ते तो विचार करवा लाग्यो के, अहो आ दिक्षा मने महान् y卐卐卐卐卐卐卐! पणी कराधा बिना तमो मजचाय बसाडी सज कर्या अनेबामेने मह
SR No.034170
Book TitleChaumasi Vyakhyan Bhashantar Tatha Ter Kathiyanu Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManivijay
PublisherJain Sangh Boru
Publication Year1936
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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