________________
卐5卐55卐卐!
लक्ष्मी उपार्जन करवी जोइये. आवी धारणा करी कांइक धर्मध्यान करतो हतोते पण मुकी पैसा कमावा चाल्यो. रस्तामां चालता चालता विचार करवा लाग्यो के, अरे! पासे पैसा तो छ नहि ने व्यापार शानो करीश, तेम ज धनवान केम थइश. मने परदेशने विषे पैसो कोण धीरशे, आवा प्रकारना संकल्प करतो चाल्यो जाय छे तेवामां एक अटवी आवी तेनी नजीकमां एक पल्ली हती तेमां साते व्यसनना सेवन करनारा पांचसो चोरो रहेता हता. त्यां जइ आ वाणियो बुद्धिमान होवाथी विचार करवा लाग्यो के, जो आपल्लीमांज रहीने मीठु मरचुं विगेरे परचुरण वेचवानो धंधो करीश, तो मने थोडा पैसामा घणो व्यापार थशे-मने घणा रुपीयानी जरुरीयात नहि पडे. वली आ चोर लोकोने कोइ कमाइ करवानी महेनत पडती नथी. तेओ तो चोरी करीने लावे छे, तथा अहीं कोइनी दुकान नथी, तेम ज तेने काइ व्यापार नोकरी करवानी नथी के शरीरे परसेवो वळे ! ते तो हरामनो माल खानारा छे, माटे हुं अहीं दुकान करीश तो मने फावशे, ने एकना त्रण गणा करीने लइश तो पण ते लोको आपी देशे, कारण के तेने कमावा जवू पडतुं नथी. वली हुं वाणियो अक्कलबाज होवाथी मीठं मीठु बोलीश अने ओछं आपीश, वधारे लइश, वली तेने मलतो रहीश एटले मने घणा पैसा मलशे, त्यारवाद घरे चाल्यो जइश. जो के एवा नीच अने व्यसनी लोकोना भेगा रहेवाथी मने गेरफायदो छ, वली परमात्माना दर्शन वंदन नमन पूजन गुरुभक्ति दयादान उपकार परोपकार काइ पण अहीं नथी, अहीं तो चोरोनी साथे वसी चोर जेवू थइ पापकर्मना पोटला बांधवाना छे. पण करवू केम? आ कर्त्तव्य शिवाय मने पैसो मलनार नथी माटे अत्यारे तो अहीं ज रहुं. पैसो प्राप्त थया पछी घर प्रत्ये जइश ने बांधेला पापकर्मोंने पछी छोडीश. हजी घणो टाइम छे, काइ बगडी गयु नथी. आवी धारणा करी ते चोर पल्लीमा रह्यो ने सर्वने मली जइ वेपार करवा
14SMS199933