________________
चौमासी
व्या
ख्यान ॥
॥ १० ॥
• 2 2 45454545245454
मा
ते
भावार्थ:- एक माणस दिवसे दिवसे लाख खांडी सोनानुं दान करे, अने एक माणस वे घडीनुं सामायिक निर्मल मनथी रागद्वेष रहितपणे करे, तो लाख खांडी सोनानुं दान वे घडीना सामायिकना तोले आवी शके नहि. अहा हा हा, सी केटलो सामायिकनो प्रभाव ! पारावार, बस कहेवुं ज शुं, सांप्रतकालना जीवोने जरुर विचारखुं जोइये के आपणे सामायिक ग्रहण करता छतां पण जे आहट्टदोहट्टादिक करीये छीये ते मिथ्या छे. जे वस्तुनो नाश थयो छे अगर थवानो छे तेमां, तेम ज जे वस्तु मली छे, मलवानी छे, मेलववी छे, तेमां तथा सुख दुःखना आववामां ने जावामां घरबार व्यापार स्त्री पुत्रादिक अने लेवड देवडना तेम ज संसारी अनेक प्रकारनी जालनी चिंता उपाधिमां धार्युं नहि बनतां छतां सामायिक लइ जे आर्त्त ध्यानादिक अढारे पापस्थानोनुं ध्यान आ जीव करे छे, ते वास्तविक रीते साचा लाभ ने सुखनो भोक्ता थतो नथी पण सुख लाभनी हानि करवावालो थाय छे. जे माणस सामायिक लइने वेठो छे ते समये तेमा घरबार लक्ष्मी लुंटाइ जती होय, पोताना बाल बच्चा स्त्री कुटुंब परीवारनुं मरण थतुं होय, अने पोतानुं पण मरण थतुं होय, वल्लभमां वल्लभनुं मरण थतुं होय तो पण पोताना सामायिकना ध्यानमां विघ्न नाखनार आर्त्तध्यानादिक नहि करतो, समभावे समपरिणामी थइ धर्म ध्यानमां उजमाल जे थाय छे, ते ज सत्य सामायिक करनार केवलज्ञान पामी मोक्ष सुखनो आस्वादन करनार थाय छे. वणिक् दृष्टांतो यथा.
नुं
कोइ एक शहेरने विषे एक श्रावक रहेतो हतो, अने धर्मध्यान सहित व्यापार करी पोतानुं गुजरान चलावतो हतो. हवे एक दिवस तेने चिंता थइ के परदेशना अंदर गया विना माणसो पैसापात्र थता नथी, माटे म्हारे पण परदेशना अंदर ज
व्या
ख्या
तेर काठीयानुं
र स्वरूप ॥
भा
का
h
ठी
5
या
प
॥ १० ॥