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________________ 卐 ) 卐44999 ज वली एक ध्यानथी व्याख्यान आपे छे, तेम ज श्रावको पण एक ध्यानथी सांभले छे, तेओ मने केवी रीते आव जाव | कहे, म्हारा जेवा नवरा नखोद अढारसोने एंशी आवे, तो वांचता सांभलता कोण बोलावे अने कोण बेसारे, तेना वाचवा सांभलवामां स्खलना पडे, माटे आमां कोइनो दोष नथी, म्हारो ज दोष छ, के हुं प्रथमथी ज केम न आव्यो, आवी रीते अवज्ञा करवाथी हुँ महापापनो भागीदार थाउं छु. माटे म्हारे अवज्ञा करवी लायक नथी, तेम चिंतवी अवज्ञाने हांकी काढी धर्म श्रवण करवा बेठो. वली पाछी मोहराजाने खबर पडवाथी छाती कुटी आंखोफाट रोवा लाग्यो, एटले अहंकार नामनो काठीयो बोल्यो के, स्वामिन् ! आ तमारा बच्चानुं पराक्रम जुवो, ते सर्वेने क्षण मात्रमा जीतीने हुं ठार मारूं छु. आम कहेवाथी मोहराजाने भान ठेकाणे आव्युं अने जल्दीथी तेनी पीठ थाबडी. चोथा काठीया अहंकारने मोकल्यो तेथी त्यां जइ तेना शरीरमा प्रवेश करवाथी, वली पण भव्य जीवने सन्निपात थयो, तेनी बुद्धि नाश पामी अने विचार करवा लाग्यो के, आ केवी वात छे! आवो बेसो कही आदरमान देवु जोइये, ते तो सुइ रह्यं, पण धर्मलाभ पण दीधो नहि, सुखशाता पण पुछी नहि, राज दरबारमा जइये छीये, त्यां सारी दुनियानो राजा होय तो पण आपणे तेने पगे लाग्या एटले आपणने कुशल समाचार सामी सलाम वालीने पुछे छे तो आ तो वर्णमांथी पण गया. नातजातमा मोटो हुं, मानमरतबामां मोटो हुँ, पैसा अने कुलवंशमां मोटो हुँ, ज्यां जाउं त्यां मने खमा खमा अने आदरमान मले छे ! तो इंहां आदरमान आवो बेसो ने पधारो कहेवू तो सुइ गयु, पण धर्म लाभमांथी पण गयो, क्यां भोग लाग्या म्हारा के आ अपमाननी जग्यापर आवी चडयो, वली आ वाणिया मारा बेटा मतलबीया अने गरजना यारी छ, मतलब गरज होय तो काका M卐卐卐卐卐3
SR No.034170
Book TitleChaumasi Vyakhyan Bhashantar Tatha Ter Kathiyanu Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManivijay
PublisherJain Sangh Boru
Publication Year1936
Total Pages186
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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