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बहादुर लडवैयाओ ! आजे हुं तमोने जोड़ने, तेम ज तमोये स्वपराक्रमथी सारी दुनीयाने आकर्षण करी, म्हारी साम्राज्य द्ध स्थितिमां जे वृद्धि करी छे, तेने माटे तमारा पर हुं फिदा फिदा हुं. पोताना स्वामीपर अखंड प्रेम राखी निर्मल सी चित्ते जे पोताना स्वामिने सेवन करे छे ते स्वामी केम तेना पर प्रसन्न न थाय, अर्थात् थाय ज अने तेथी ज आजे हुं तमोने कोटीशः धन्यवाद आपुं हुं के, दुनियामां चोतरफ तमोये तमारो स्वामी जे मोहराजा हुँ, तमारा पासे बेठेल छु व्या तेनी जयपताका फेरवी छे. तमोये चारित्र राजा अने सदाचार मंत्री, तथा विवेक मुसद्दी अने सुमति राणी आदिनुं, जडामूल 'काढेल छे, तेनो मने तमारा तरफथी पूर्ण संतोष छे, हवे आपणने कोई जीतनारुं नथी, तेम ज आपणने भय पण कोइनो नथी, परंतु आजे एक नवीन समाचार सांभल्या छे के, घणे काळे श्री जिनेश्वरनो एक अधिपति आवेलो छे, तेणे लोकोने फसावी पोतानी जाळमां नाखवा मांडेल छे, माटे तेनो उपाय करवो जोइये अने हांकी काढवो जोइये, आवा मोहराजाना वचनो सांभली सभा सघली मारो मारो, कुटो कुटो, पीटो पीटोनो पोकार करती गाजी उठी, शस्त्रो सजी सन्नद्धबद्ध थइ गइ, एटले मोहराजाये सिंहासनपरथी उभा थइ, पोताना वे हाथ उंचा करी कह्युं, बस करो ! म्हारा शूरा सामंतो ! बस करो ! तमारी राज्यभक्तिनी वफादारीने धन्यवाद घटे छे ! एक बिचारी कीडीपर मोढुं कटक लइ जवानी आवश्यकता नथी, वली ते अधिपति गमे तेटलं लोकोने भरमावे, समजावे, पण आपणे तो एवी बाजी रचो के, तेना पासे कोइ जइ ज शके नहि, अने धर्म सांभली ज शके नहि. तेम थवाथी ते जिनेश्वर महाराजनो अधिपति लज्जा पामी चाल्यो जशे ने हाथ घसशे, वीलो थशे, झांखो थशे, दुनिया तेनी हांसी करशे अने आपणुं जींदगीनुं शल्य जशे, माटे कहो हवे कोण कोण रू
ख्या
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