________________
चौमासी
तेर काठीया ज छे, अने तेनुं स्वरूप नीचे प्रमाणे छे.
व्या
काठीयार्नु स्वरूप।
ख्यान ।
॥६९॥
BE F F = 98 8 8 8 95 + m + S + 卐ry
आलस्स मोहवन्ना, थंभा कोहा पमाय किवणता। भयसोगा अन्नाणा, वख्खेव कोउहला रमणा ॥१॥
भावार्थ:-आलस १, मोह २, अवज्ञा ३, अहंकार ४, क्रोध ५, प्रमाद ६, कृपणता ७, भय ८, शोक ९, अज्ञान १०, चित्तविक्षेप ११, कुतूहल १२, स्त्रीविलास १३, ए तेरकाठीया छे, ते जीवोने धर्म श्रवण करवा देता नथी. ___ हवे ते तेरे काठीयानुं वर्णन प्रत्येके प्रत्येकनुं करवामां आवे छे अने तेओ समग्र जीवोने केवो व्याघात करे छे, ते | जोवान छे. . आ जीवने समग्र सामग्री मल्या छतां पण कोइ त्यागी महात्मा पासे धर्म श्रवण करवा जवाना भाव कदाच भविततव्यताना योगे थाय तो, त्यां प्रथम आलस नामनो काठीयो आवीने खडो थाय छे. जेमके कोइ एक नगरने विषे कोइ | | सुविहित महात्मा जिनेश्वर महाराजना अहिंसामय सत्य धर्मनो उपदेश आपता हता. ते सांभळी घणां जीवो व्रत प्रत्याख्याना| दिक करवा लाग्या. ए समये मोहराजाने खबर पडी. तेणे उपरोक्त तेरकाठीयारूपी तेर सेनानी अने राग-द्वेषादिक, क्रोध,
लोभादिक, सुभटो, कुमति कुटिलतादि अने अहंता ममतादिक, तेम ज निद्रा विकथादिक, पंडिताणीयोना व्होला पोताना परि| वारनी सभा भरी. पोतानी सभाने चिकार भराइ गयेली, तेम ज पोताना चरणकमलमां शिर जुकावी रहेली जोइ, आनंदने विषे मग्न थइ, मुछो पर हाथ फेरवतो, अने भुजावल उपर द्रष्टि फेरवतो, मोहराजा बोल्यो. म्हारा प्यारा सभासदो! अने म्हारा
3gynyyysa卐!