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महान् उपाय छे.
आवी रीते मुनिमहाराजना मुखथी पोताना पापकर्मना नाशनो उपाय जाणी तेणे मुनिमहाराजना पासे दिक्षाने अंगीकार करी अने अभिग्रह कयों के, हुं आ गामने विषे ज एटले इहां रहीने ज काउस्सग्ग ध्यान करीश, तथा लोको मने जे ताडना, | तर्जना, आक्रोशने करशे ते सर्वेने सहन करीश अने आ चारे जीवोना घातर्नु पापकर्म मने ज्यांसुधी याद आवशे त्यांसुधी म्हारे आहार करवाना प्रत्याख्यान छे, आवी रीते दृढप्रहारीये प्रतिज्ञा करी..
आवा प्रकारनो अभिग्रह करीने ते मुनि त्यां ज विहार करवा लाग्या. हवे तेने देखीने नगरना लोको बोलवा मांडया के आ पापिष्ट आत्मा घणी गर्भहत्या, बालहत्या, स्त्रीहत्या, गौहत्या करनारो छे, आ दुष्ट गामने लुटनारो छे, आ ढोंग करीने हवे गामने ठगवा माटे आवो वेष करीने फरे छ, विगेरे प्रकारना कुवचनोथी तेने तर्जना करे छे, पाषाणथी लाकडीथी निरंतर ताडना करे छे, ते सर्वे उपद्रवो शांतिथी पृथ्वीना पेठे सहन करे छे, तथा पोताना पापकर्मने संभारी भोजनने करता नथी, आवी रीते महात्मा द्रढप्रहारीये छ मास वहन कर्या, घणां पापकर्म खपाव्या अने त्यारबाद उत्तमोत्तम भावना भाववा | लाग्या के, हे आत्मन् ! जेवा प्रकारचें बीज वावीये तेवा प्रकारचें फल पामीये, माटे आ लोकोनो दोष नथी, पण आ लोको | पोतानी कठोर भाषादिकवडे करी म्हारी दुष्कर्मनी गांठ छे तेनी चिकित्सा करी तोडे छे, माटे म्हारा ते मित्रो छे, माटे मने ताडना रोजे करो, कारण के सुवर्णने उज्वल करवू होय तो अग्निनो योग लगाववो ज जोइये, कारण के तेम करवाथी ज सुवर्ण- मलीनपणुं दुर थाय छे. माटे म्हारो आत्मा पण ताडना तर्जनाथी ज कर्मथकी हलको थशे, वली आ लोको मने
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