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________________ से गुजरात की ओर आ रहे थे । मैं पूज्य श्री के पास आशीर्वाद लेने गया । पूज्य श्री के आशीर्वाद से ५० वर्षों में यह इतिहास बना कि जब ईद के दिन कत्लखाने बन्द रहे । पूज्य श्री की कृपा से गुजरात विधानसभा में मांसाहारी कैन्टीन बन्द कराया । पांजरापोल के लिए प्रति ढोर 'सबसीडी' ६ में से ८, ८ में से १० रुपये हुई । यह पूज्यश्री का प्रभाव है । यह असम्भव था फिर भी सम्भव हो सका, 'हमारे पूज्य आचार्यश्री की बात स्वीकार करें तो हमारा समाज प्रसन्न होगा ।' केशुभाई को ऐसी बात करने पर उन्हों ने वह तुरन्त स्वीकार की । हम यहां समस्त पूज्यों का स्वागत करते हैं । हमारी यही भावना है कि दोनों समाजों पर आप की कृपावृष्टि होती रहे । हम कहीं पर चूक जाऐं तो आप स्मरण करायें । हमें फिराते रहें । अकबर बीरबल का एक प्रसंग याद आता है । अकबर ने पूछा, 'भाखरी कैसे जल गई ?' 'दशहरे के दिन घोड़ा क्यों नहीं दौड़ा ?' 'शरीर कैसे दर्द करने लगा ?' I बीरबल ने इन तीनों को एक ही उत्तर दिया, 'फेरा नहीं ।' हे पूज्य श्री ! आप हमें फिराते रहें, ताकि हम बिगड़ न जायें । गांधीधाम के जैन संघ ने मुझे कहा कि आगामी चातुर्मास के लिए आप पधारें । मैं गांधीधाम के संघ की ओर से विनती करता हूं। आप आगामी चातुर्मास का लाभ गांधीधाम के संघ को दे । धीरुभाई, वेलजीभाई, मलूकचन्दभाई ने सुन्दर अनुमोदनीय कार्य किया है । पालीताणा में श्रेष्ठ धर्मशाला के रूप में यह सात चौबीसी धर्मशाला गिनी जाय, ऐसी मेरी झंखना है । समस्त आचार्य भगवंतों ने जिन पूज्य श्री में भगवान के दर्शन किये, ऐसे आचार्य भगवंत हमें मिले हैं जिसके लिए हमें गौरव है । पूज्य आचार्यश्री की निश्रा में प्राप्त इस समय का सदुपयोग ३२२ W १ कहे कलापूर्णसूरि - ३
SR No.032619
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 03 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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