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________________ नहीं करें तो यह समय हमें ठुकरा कर चला जायेगा । ए. डी. महेता : __. पूज्य आचार्यश्री की निश्रा में ई.स. १९९१ में यहां भूमिपूजन हुआ था । यहां की लगभग समस्त आवश्यकताएं पूरी हो गई हैं, परन्तु अब यहां एक सुन्दर जिनालय का निर्माण हो ऐसे पूज्यश्री के आशीर्वाद प्राप्त हों ऐसी मैं पूज्यश्री को प्रार्थना करता हूं । उगरचन्द गढ़ेचा : ए. डी. महेता की भावना पूर्ण हो । मालशी मेघजी : पहले मैं स्पष्टीकरण कर लूं कि दोनों समाजों के गुरु एक हैं । छोटे-बड़े का भेद भूल कर हम एक बन कर कार्य करें, ऐसी तमन्ना है। वागड़ का कटारिया तीर्थ हम साथ मिल कर सुन्दर, व्यवस्थित बनायें ऐसी अपेक्षा है । पूज्य आचार्यश्री विजयकलाप्रभसूरिजी : यहां के चातुर्मास के प्रवेश के बाद पांच-पांच रविवार के कार्यक्रम यहां हुए हैं । लगभग समस्त प्रवक्ताओं ने प्रवचन दिये हैं, सिर्फ मैं ही बाकी रहा हूं । __आज आधे घंटे तक बोलना था, परन्तु गला साथ नहीं दे रहा । ___ आज आमने-सामने बातें करनी हैं । हमारी कितनीक बातें आप तक पहुंची नहीं हैं । __इस समाज के साथ हमारा बचपन का सम्बन्ध है । यद्यपि हमारी जन्मभूमि मारवाड़ है, परन्तु कर्मभूमि वागड़ है । सच ही इस समाज के साथ का हमारा ऋणानुबंध है । पूज्य कनकसूरिजी के समय में इस समाज के साथ हमारा परिचय हुआ । दीक्षा के समय मेरी उम्र १० वर्ष थी, छोटे भाई (लघु भ्राता) की उम्र ८ वर्ष और पूज्यश्री की ३० वर्ष थी । . बचपन से ही इस समाज का प्रत्येक सदस्य हमें पहचानता है । (कहे कलापूर्णसूरि - ३ wwwwmoomoooooooooom ३२३
SR No.032619
Book TitleKahe Kalapurnasuri Part 03 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherVanki Jain Tirth
Publication Year
Total Pages412
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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