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________________ भगवती सूत्र श. १ : उ. ५ : सू. २१५-२१८ आनत- और प्राणत-कल्प में चार सौ तथा आरण- और अच्युत-कल्प में तीन सौ विमान हैं। इन चार कल्पों में सात सौ विमान हैं। अधस्तन ग्रैवेयक-त्रिक में एक सौ ग्यारह विमान हैं, मध्यम ग्रैवेयक-त्रिक में एक सौ सात विमान हैं और ऊपर के ग्रैवेयक-त्रिक में सौ विमान हैं। अनुत्तर-विमान पांच ही हैं। नैरयिकों का नानादशाओं में क्रोधोपयुक्त-आदि-भंग-पद रत्नप्रभा आदि पृथ्वियों में स्थिति-स्थान, अवगाहन, शरीर, संहनन, संस्थान, लेश्या, दृष्टि, ज्ञान, योग और उपयोग ये दश स्थान इस उद्देशक में वर्णित हैं। २१६. भन्ते! इस रत्नप्रभा-पृथ्वी के तीस लाख नरकावासों में से प्रत्येक नरकावास में रहने वाले नैरयिकों के कितने स्थिति-स्थान (आयु-विभाग) प्रज्ञप्त हैं? गौतम! उनके स्थिति-स्थान असंख्येय प्रज्ञप्त हैं, जैसे-जघन्य स्थिति, एक समय अधिक जघन्य स्थिति, दो समय अधिक जघन्य स्थिति यावत् असंख्येय समय अधिक जघन्य स्थिति। विवक्षित नरकावास के प्रायोग्य उत्कृष्ट स्थिति। २१७. भन्ते! इस रत्नप्रभा-पृथ्वी के तीस लाख नरकावासों में प्रत्येक नरका-वास में जघन्य स्थिति में वर्तमान नैरयिक जीव क्या क्रोधोपयुक्त होते हैं? मानोपयुक्त होते हैं? मायोपयुक्त होते हैं? लोभोपयुक्त होते हैं? गौतम! वे सब नैरयिक होते हैं १. क्रोधोपयुक्त। २. अथवा क्रोधोपयुक्त एक मानोपयुक्त। ३. अथवा क्रोधोपयुक्त, मानोपयुक्त। ४. अथवा क्रोधोपयुक्त , एक मायोपयुक्त। ५. अथवा क्रोधोपयुक्त, मायोपयुक्त। ६. अथवा क्रोधोपयुक्त, एक लोभोपयुक्त । ७. अथवा क्रोधोपयुक्त, लोभोपयुक्त। ८. अथवा क्रोधोपयुक्त , एक मानोपयुक्त, एक मायोपयुक्त। ९. क्रोधोपयुक्त , एक मानोपयुक्त, मायोपयुक्त। १०. क्रोधोपयुक्त, मानोपयुक्त, एक मायोपयुक्त। ११. क्रोधोपयुक्त, मानोपयुक्त, मायोपयुक्त। १२. क्रोधोपयुक्त एक मानोपयुक्त, एक लोभोपयुक्त। १३. क्रोधोपयुक्त , एक मानोपयुक्त, लोभोपयुक्त। १४. क्रोधोपयुक्त, मानोपयुक्त, लोभोपयुक्त। १५. क्रोधोपयुक्त, मानोपयुक्त, लोभोपयुक्त। १६. क्रोधोपयुक्त, एक मायोपयुक्त, एक लोभोपयुक्त। १७. क्रोधोपयुक्त , एक मायोपयुक्त, लोभोपयुक्त। १८. क्रोधोपयुक्त , मायोपयुक्त, एक लोभोपयुक्त। १९. क्रोधोपयुक्त , मायोपयुक्त, लोभोपयुक्त। २०. क्रोधोपयुक्त, एक मानोपयुक्त, एक मायोपयुक्त, एक लोभोपयुक्त। २१. क्रोधोपयुक्त , एक मानोपयुक्त, एक मायोपयुक्त, लोभोपयुक्त। २२. क्रोधोपयुक्त , एक मानोपयुक्त, मायोपयुक्त, एक लोभोपयुक्त । २३. क्रोधोपयुक्त , एक मानोपयुक्त, मायोपयुक्त, लोभोपयुक्त। २४. क्रोधोपयुक्त , मानोपयुक्त, एक मायोपयुक्त, एक लोभोपयुक्त। २५. क्रोधोपयुक्त , मानोपयुक्त, एक मायोपयुक्त, लोभोपयुक्त। २६. क्रोधोपयुक्त , मानोपयुक्त, मायोपयुक्त, एक लोभोपयुक्त। २७. क्रोधोपयुक्त , मानोपयुक्त, मायोपयुक्त, लोभोपयुक्त। २१८. भन्ते! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नरकावासों में से प्रत्येक नरकावास में 'एक समय अधिक जघन्य स्थिति' में वर्तमान नैरयिक क्या क्रोधोपयुक्त होते हैं? मानोपयुक्त होते हैं? मायोपयुक्त होते हैं? लोभोपयुक्त होते हैं? २९
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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