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________________ श. १: उ. ५ : सू. २०९-२१५ भगवती सूत्र हां, गौतम! उत्पन्न-ज्ञान-दर्शन के धारक अर्हत्, जिन और केवली को 'अलमस्तु' ऐसा कहा जा सकता है। २१०. भन्ते! वह ऐसा ही है। भन्ते! वह ऐसा ही है। पांचवां उद्देशक पृथ्वी-पद २११. भन्ते! पृथ्वियां कितनी प्रज्ञप्त हैं? गौतम! पृथ्वियां सात प्रज्ञप्त हैं, जैसे-रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा, धूमप्रभा, तमःप्रभा, तमस्तमाः। २१२. भन्ते! इस रत्नप्रभा-पृथ्वी के कितने लाख नरकावास प्रज्ञप्त हैं? गौतम! रत्नप्रभा-पृथ्वी के तीस लाख नरकावास प्रज्ञप्त हैं। सातों पृथ्वियों के नरकावास क्रमशः इस प्रकार हैं-१. तीस लाख २. पच्चीस लाख ३. पंद्रह लाख ४. दस लाख ५. तीन लाख ६. निनानवें हजार नौ सौ पिचानवे ७. पांच अनुत्तर नरकावास। आवास-पद २१३. भन्ते! असुरकुमारों के कितने लाख आवास प्रज्ञप्त हैं? गौतम! असुरकुमारों के चौसठ लाख आवास प्रज्ञप्त हैं। संग्रहणी गाथा इस प्रकारअसुरकुमारों के चौसठ लाख, नागकुमारों के चौरासी लाख, सुपर्णकुमारों के बहत्तर लाख, वायुकुमारों के छियानवें लाख। द्वीपकुमार, दिशाकुमार, उदधिकुमार, विद्युत्कुमार, स्तनितकुमार और अग्निकुमार–इन छहों युगलों के छिहत्तर लाख आवास हैं। २१४. भन्ते! पृथ्वीकायिक-जीवों के कितने लाख आवास प्रज्ञप्त हैं? गौतम! पृथ्वीकायिक जीवों के असंख्येय लाख आवास प्रज्ञप्त हैं यावत् ज्योतिष्क-देवों के असंख्येय लाख विमानावास प्रज्ञप्त हैं। २१५. भन्ते! सौधर्म-कल्प में कितने लाख विमानावास प्रज्ञप्त हैं? गौतम! उसमें बत्तीस लाख विमानावास प्रज्ञप्त हैं। संग्रहणी गाथा इस प्रकारसौधर्म में बत्तीस लाख, ईशान में अट्ठाईस लाख, सनत्कुमार में बारह लाख, माहेन्द्र में आठ लाख, ब्रह्म में चार लाख, लान्तक में पचास हजार, शुक्र में चालीस हजार, सहस्रार में छह हजार विमान हैं। २८
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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