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________________ भगवती सूत्र श. १० : उ. ३ : सू. ३०-३८ ३०. भंते! क्या वह पहले विमोहित कर पश्चात् व्यतिक्रमण करता है ? पहले व्यतिक्रमण कर विमोहित करता है ? पश्चात् गौतम ! पहले विमोहित कर पश्चात् व्यतिक्रमण करता है अथवा पहले व्यतिक्रमण कर पश्चात् विमोहित करता है । ३१. भंते! अल्प-ऋद्धि वाला असुरकुमार महान् - ऋद्धि वाले असुरकुमार के बीच से होकर व्यतिक्रमण करता है ? यह अर्थ संगत नहीं है । इस प्रकार असुरकुमार के तीन आलापक वक्तव्य हैं, जैसे सामान्य देव के कहे गए हैं। इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमार की वक्तव्यता । इसी प्रकार वानमंतर, ज्योतिष्क और वैमानिक की वक्तव्यता । ३२. भंते! अल्प - ऋद्धि वाला देव महान् ऋद्धि वाली देवी के बीच से होकर व्यतिक्रमण करता है ? यह अर्थ संगत नहीं है । ३३. सम ऋद्धि वाला देव सम ऋद्धि वाली देवी के बीच से होकर व्यतिक्रमण करता है ? इसी प्रकार देव और देवी का दंडक (पाठ - पद्धति) वक्तव्य है यावत् वैमानिक । बीच से होकर व्यतिक्रमण ३४. भंते! अल्प - ऋद्धि वाली देवी महान् ऋद्धि वाले देवों के करती है ? इस प्रकार यहां भी तृतीय दण्डक वक्तव्य है यावत् ३५. भंते! क्या महान् ऋद्धि वाली वैमानिक देवी अल्प ऋद्धि वैमानिक देव के बीच से होकर व्यतिक्रमण करती है ? हां, व्यतिक्रमण करती है। ३६. भंते! क्या अल्प - ऋद्धि वाली देवी महान् - ऋद्धिवाली देवी के बीच से होकर व्यतिक्रमण करती है ? यह अर्थ संगत नहीं है। सम ऋद्धि वाली देवी की सम ऋद्धि वाली देवी के संदर्भ में पूर्ववत् वक्तव्यता (१०/२५-२७) महान् ऋद्धि वाली देवी की अल्प ऋद्धि वाली देवी के संदर्भ में पूर्ववत् वक्तव्यता (१० / २८-३०) । इस प्रकार प्रत्येक के तीन-तीन आलापक वक्तव्य हैं यावत् ३७. भंते! महान् ऋद्धि वाली वैमानिक देवी अल्प ऋद्धि वाली देवी के बीच से होकर व्यतिक्रमण करती है ? हां, व्यतिक्रमण करती है। ३८. भंते! क्या वह विमोहित कर व्यतिक्रमण करने में समर्थ है ? विमोहित किए बिना व्यतिक्रमण करने में समर्थ है ? गौतम ! विमोहित कर व्यतिक्रमण करने में भी समर्थ है, विमोहित किए बिना भी व्यतिक्रमण ३९३
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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