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________________ भगवती सूत्र श. ८ : उ. १ : सू. ६६-७५ ६६. यदि मन-मिश्र-परिणत है तो क्या सत्य-मन-मिश्र-परिणत है ? मृषा - मन- मिश्र - परिणत है ? जैसे प्रयोग - परिणत की वक्तव्यता है वैसे ही मिश्र-परिणत भी अविकल रूप से वक्तव्य है यावत् पर्याप्त-सर्वार्थसिद्ध-अनुत्तरौपपातिक यावत् देव-पंचेन्द्रिय-कर्म शरीर मिश्र - परिणत है अथवा अपर्याप्त-सर्वार्थसिद्ध-अनुत्तरौपपातिक यावत् कर्म शरीर मिश्र - परिणत है । विस्रसा परिणति-पद ६७. यदि विस्रसा-परिणत है तो क्या वर्ण- परिणत है ? गंध- परिणत है ? रस-परिणत है ? स्पर्श - परिणत है ? संस्थान - परिणत है ? गौतम! वह वर्ण-परिणत भी है, गंध- परिणत भी है, रस- परिणत भी है, स्पर्श - परिणत भी है, संस्थान - परिणत भी है । ६८. यदि वर्ण-परिणत है तो क्या काल-वर्ण- परिणत है यावत् शुक्ल वर्ण - परिणत है ? गौतम ? वह काल-वर्ण-परिणत है यावत् शुक्ल-वर्ण-परिणत भी है। ६९. यदि गन्ध-परिणत है तो क्या सुगन्ध- परिणत है ? दुर्गन्ध-परिणत है ? गौतम ! वह सुगन्ध - परिणत भी है अथवा दुर्गन्ध - परिणत भी है ? ७०. यदि रस- परिणत है तो क्या तिक्त रस - परिणत है ? पृच्छा। गौतम! वह तिक्त-रस-परिणत भी है यावत् मधुर-रस- परिणत भी है । ७१. यदि स्पर्श - परिणत है तो क्या कठोर स्पर्श-परिणत है यावत् रूक्ष - स्पर्श - परिणत है ? गौतम ! कठोर - स्पर्श-परिणत भी है यावत् रूक्ष - स्पर्श - परिणत भी है। ७२. यदि संस्थान - परिणत है-पृच्छा । गौतम! परिमण्डल-संस्थान - परिणत भी है अथवा यावत् आयत-संस्थान - परिणत भी है । दो द्रव्यों की अपेक्षा पुद्गल - परिणति-पद ७३. भन्ते ! दो द्रव्य क्या प्रयोग- परिणत हैं ? क्या मिश्र परिणत हैं ? क्या विस्रसा - परिणत हैं ? गौतम ! १. प्रयोग - परिणत भी हैं २. मिश्र - परिणत भी हैं ३. विस्रसा परिणत भी हैं ४ . अथवा एक प्रयोग - परिणत हैं, एक मिश्र - परिणत है, ५. अथवा एक प्रयोग- परिणत है, एक विस्रसा परिणत है ६ अथवा एक मिश्र - परिणत है, एक विस्रसा परिणत है 1 ७४. यदि प्रयोग- परिणत हैं तो क्या मन-प्रयोग-परिणत हैं ? वचन - प्रयोग परिणत हैं ? अथवा काय प्रयोग - परिणत हैं ? गौतम ! १. मन - प्रयोग - परिणत हैं २. वचन-प्रयोग - परिणत भी हैं ३. काय प्रयोग - परिणत भी हैं ४. अथवा एक मन-प्रयोग-परिणत है, एक वचन-प्रयोग- परिणत है ५. अथवा एक मन-प्रयोग-परिणत है, एक काय प्रयोग - परिणत है ६. अथवा एक वचन प्रयोग - परिणत है, एक काय प्रयोग - परिणत है । ७५. यदि मन - प्रयोग- परिणत हैं तो क्या सत्य मन प्रयोग- परिणत हैं? असत्य - मन- प्रयोग २७१
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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