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________________ श. ८ : उ. १ : सू. ७५-८१ भगवती सूत्र -परिणत हैं? सत्य-मृषा-मन-प्रयोग-परिणत हैं? अथवा असत्यामृषा-मन-प्रयोग-परिणत हैं? गौतम! १-४. सत्य-मन-प्रयोग-परिणत भी हैं, असत्यामृषा-मन-प्रयोग-परिणत भी हैं ५. अथवा एक सत्य-मन-प्रयोग-परिणत है, एक मृषा-मन-प्रयोग-परिणत है ६. अथवा एक सत्य-मन-प्रयोग-परिणत है, एक सत्य-मृषा-मन-प्रयोग-परिणत है ७. अथवा एक सत्यमन-प्रयोग-परिणत है, एक असत्यामृषा-मन-प्रयोग-परिणत है, ८. अथवा एक मृषा-मन-प्रयोग-परिणत है, एक सत्य-मृषा-मन-प्रयोग-परिणत है ९. अथवा एक मृषा-मन-प्रयोग-परिणत है, एक असत्यामृषा-मन-प्रयोग-परिणत है १०. अथवा एक सत्य-मृषा-मन-प्रयोग-परिणत है, एक असत्यामृषा-मन-प्रयोग-परिणत है। ७६. यदि सत्य-मन-प्रयोग-परिणत हैं तो क्या आरम्भ-सत्य-मन-प्रयोग-परिणत हैं? यावत् असमारम्भ-सत्य-मन-प्रयोग-परिणत हैं? गौतम! आरम्भ-सत्य-मन-प्रयोग-परिणत भी हैं यावत् असमारम्भ-सत्य-मन-प्रयोग-परिणत भी हैं। अथवा एक आरम्भ-सत्य-मन-प्रयोग-परिणत है, एक अनारम्भ-सत्य-मन-प्रयोग-परिणत है। इस प्रकार इस गमक के अनुसार दो के संयोग से होने वाले भंग ज्ञातव्य हैं, सब सांयोगिक भंग जहां जितने हो सकते हैं, वे सब यावत् सर्वार्थसिद्ध तक वक्तव्य हैं। ७७. यदि मिश्र-परिणत हैं तो क्या मन-मिश्र-परिणत हैं? इस प्रकार मिश्र-परिणत की भी वक्तव्यता। ७८. यदि विस्रसा-परिणत हैं तो क्या वर्ण-परिणत हैं? गन्ध-परिणत हैं? इस प्रकार विस्रसा-परिणत की भी वक्तव्यता यावत् अथवा एक चतुरस्र-संस्थान-परिणत है, एक आयत-संस्थान-परिणत है। तीन द्रव्यों की अपेक्षा पुद्गल-परिणति-पद ७९. भन्ते! तीन द्रव्य क्या प्रयोग-परिणत हैं? मिश्र-परिणत हैं? विस्रसा-परिणत है? गौतम! १.प्रयोग-परिणत भी हैं २. मिश्र-परिणत भी हैं ३. विससा-परिणत भी हैं ४. अथवा एक प्रयोग-परिणत है, दो मिश्र-परिणत हैं ५. अथवा एक प्रयोग-परिणत है, दो विस्रसा-परिणत हैं ६. अथवा दो प्रयोग-परिणत हैं, एक मिश्र-परिणत है ७. अथवा दो प्रयोग-परिणत हैं, एक विस्रसा-परिणत है ८. अथवा एक मिश्र-परिणत है, दो विस्रसा-परिणत हैं ९. अथवा दो मिश्र-परिणत हैं, एक विस्रसा-परिणत है। १०. अथवा एक प्रयोग-परिणत है, एक मिश्र-परिणत है, एक विस्रसा-परिणत है। ८०. यदि प्रयोग-परिणत हैं तो क्या मन-प्रयोग-परिणत हैं? वचन-प्रयोग-परिणत हैं? काय-प्रयोग-परिणत हैं? गौतम! मन-प्रयोग-परिणत भी हैं, इस प्रकार एक-सांयोगिक, द्विक-सांयोगिक और त्रिक-सांयोगिक भंग वक्तव्य हैं। ८१. यदि मन-प्रयोग-परिणत हैं तो क्या सत्य-मन-प्रयोग-परिणत हैं? असत्य-मन-प्रयोग-परिणत हैं? सत्य-मृषा-मन-प्रयोग-परिणत हैं? असत्यामृषा-मन-प्रयोग-परिणत हैं? २७२
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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