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________________ श. १ : उ. ७ : सू. ३२५-३३४ भगवती सूत्र ३२५. इसी प्रकार वैमानिक तक ज्ञातव्य है। ३२६. भन्ते! नैरयिकों में उपपन्न नैरयिक क्या-१. देश के द्वारा देश में उपपन्न है? २. देश के द्वारा सर्व में उपपन्न है? ३. सर्व के द्वारा देश में उपपन्न है? ४. सर्व के द्वारा सर्व में उपपन्न गौतम! १. वह देश के द्वारा देश में उपपन्न नहीं है। २. देश के द्वारा सर्व में उपपन्न नहीं है। ३. सर्व के द्वारा देश में उपपन्न नहीं है। ४. सर्व के द्वारा सर्व में उपपन्न है। ३२७. इसी प्रकार वैमानिक तक ज्ञातव्य है। ३२८. भन्ते! नैरयिकों में उपपन्न नैरयिक क्या १.देश के द्वारा देश का आहरण करता है? २. देश के द्वारा सर्व का आहरण करता है? ३. सर्व के द्वारा देश का आहरण करता है? ४. सर्व के द्वारा सर्व का आहरण करता है। गौतम! वह १. देश के द्वारा देश का आहरण नहीं करता। २. देश के द्वारा सर्व का आहरण नहीं करता। ३. सर्व के द्वारा देश का आहरण करता है। ४. अथवा सर्व के द्वारा सर्व का आहरण करता है। ३२९. इसी प्रकार वैमानिक तक ज्ञातव्य है। ३३०. भन्ते! नैरयिकों से उद्धृत (निकला) हुआ नैरयिक क्या-१. देश के द्वारा देश से उद्वृत्त है? २. .देश के द्वारा सर्व से उद्वृत्त है? ३. सर्व के द्वारा देश से उद्वृत्त है? ४. सर्व के द्वारा सर्व से उद्वृत्त है? गौतम! वह १. देश के द्वारा देश से उवृत्त नहीं है। २. देश के द्वारा सर्व से उद्वृत्त नहीं है। ३. सर्व के द्वारा देश से उवृत्त नहीं है। ४. सर्व के द्वारा सर्व से उवृत्त है। ३३१. इसी प्रकार वैमानिक तक ज्ञातव्य है। ३३२. भन्ते! नैरयिकों से उवृत्त नैरयिक क्या-१. देश के द्वारा देश का आहरण करता है? २. देश के द्वारा सर्व का आहरण करता है? ३. सर्व के द्वारा देश का आहरण करता है। ४. सर्व के द्वारा सर्व का आहरण करता है? गौतम! वह १. देश के द्वारा देश का आहरण नहीं करता २. देश के द्वारा सर्व का आहरण नहीं करता। ३. सर्व के द्वारा देश का आहरण करता है। ४. अथवा सर्व के द्वारा सर्व का आहरण करता है। ३३३. इसी प्रकार वैमानिक तक ज्ञातव्य है। ३३४. भन्ते! नैरयिकों में उपपद्यमान नैरयिक क्या-१. अर्ध के द्वारा अर्ध में उपपन्न होता है? २. अर्ध के द्वारा सर्व में उपपन्न होता है? ३. सर्व के द्वारा अर्ध में उपपन्न होता है? ४. सर्व के द्वारा सर्व में उपपन्न होता है? जैसे पूववर्ती आलापक के आठ दण्डक बतलाए गए हैं, वैसे ही अर्ध के भी आठ दण्डक वक्तव्य हैं। विशेष इतना है-जहां देश के द्वारा देश में उपपन्न होता है, वहां अर्ध के द्वारा अर्ध में उपपन्न होता है यह वक्तव्य है, यह नानात्व है। ये सभी सोलह दण्डक वक्तव्य हैं। ४२
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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