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________________ श. १ : उ. ६ : सू. २५९-२६८ भगवती सूत्र २५९. भंते! क्या सूर्य अवगाढ-क्षेत्र को अवभासित करता है? अथवा अनवगाढ-क्षेत्र को अवभासित करता है? गौतम! वह अवगाढ़-क्षेत्र को अवभासित करता है, अनवगाढ-क्षेत्र को अव-भासित नहीं करता। २६०. भन्ते! क्या सूर्य अनन्तरावगाढ-क्षेत्र को अवभासित करता है? अथवा परम्परावगाढ-क्षेत्र को अवभासित करता है? गौतम! वह अनन्तरावगाढ-क्षेत्र को अवभासित करता है, परम्परावगाढ-क्षेत्र को अवभासित नहीं करता। २६१. भन्ते! क्या सूर्य अणु(सूक्ष्म)-क्षेत्र को अवभासित करता है? अथवा बादर(स्थूल)-क्षेत्र को अवभासित करता है? गौतम! सूर्य अणु-क्षेत्र को भी अवभासित करता है और बादर-क्षेत्र को भी अवभासित करता २६२. भन्ते! क्या सूर्य ऊर्ध्व-क्षेत्र को अवभासित करता है? तिरछे-क्षेत्र को अवभासित करता है? अथवा अधः-क्षेत्र को अवभासित करता है? गौतम! वह ऊर्ध्व-क्षेत्र को भी अवभासित करता है, तिरछे-क्षेत्र को भी अव-भासित करता है और अधः-क्षेत्र को भी अवभासित करता है। २६३. भन्ते! क्या सूर्य क्षेत्र के आदि-भाग को अवभासित करता है? मध्य-भाग को अवभासित करता है? अथवा अन्त-भाग को अवभासित करता है? गौतम! वह क्षेत्र के आदि-भाग को भी अवभासित करता है, मध्य-भाग को भी अवभासित करता है और अन्त-भाग को भी अवभासित करता है। २६४. भन्ते! क्या सूर्य अपने विषय को अवभासित करता है अथवा अविषय को अवभासित करता है? गौतम! वह अपने विषय को अवभासित करता है, अविषय को अवभासित नहीं करता। २६५. भन्ते! क्या सूर्य अपने विषय को क्रम से अवभासित करता है? अथवा अक्रम से अवभासित करता है? गौतम! वह अपने विषय को क्रम से अवभासित करता है, अक्रम से अवभासित नहीं करता। २६६. भन्ते! सूर्य कितनी दिशाओं को अवभासित करता है? गौतम! वह नियमतः छहों दिशाओं को अवभासित करता है। २६७. उयोतित, तप्त और प्रभासित-इन क्रियापदों के साथ अवभासित की भांति पूर्ण आलापक वक्तव्य है। स्पर्शना-पद २६८. भन्ते! स्पृश्यमान काल के समय में कोई स्कन्ध सब दिशाओं में सर्वात्मना जितने क्षेत्र ३४
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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