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________________ भगवती सूत्र का स्पर्श करता है, क्या उतने स्पृश्यमान क्षेत्र को स्पृष्ट कहा जा सकता है ? हां, गौतम ! स्पृश्यमान काल के समय में वह सब दिशाओं में सर्वात्मना जितने क्षेत्र का स्पर्श करता है, उतने स्पृश्यमान क्षेत्र को स्पृष्ट कहा जा सकता है। श. १ : उ. ६ : सू. २६८-२७६ २६९. भन्ते ! क्या कोई स्कन्ध स्पृष्ट-क्षेत्र का स्पर्श करता है ? अथवा अस्पृष्ट- क्षेत्र का स्पर्श करता है ? गौतम ! वह स्पृष्ट- क्षेत्र का स्पर्श करता है, अस्पृष्ट-क्षेत्र का स्पर्श नहीं करता यावत् नियमतः छहों दिशाओं का स्पर्श करता है । २७०. भन्ते ! क्या लोकान्त अलोकान्त का स्पर्श करता है ? अलोकान्त भी लोकान्त का स्पर्श करता है ? हां, गौतम ! लोकान्त अलोकान्त का स्पर्श करता है और अलोकान्त भी लोकान्त का स्पर्श करता है । २७१. भन्ते! क्या वह स्पृष्ट- क्षेत्र का स्पर्श करता है ? अथवा अस्पृष्ट है ? ट-क्षेत्र का स्पर्श करता गौतम ! वह स्पृष्ट- क्षेत्र का स्पर्श करता है, अस्पृष्ट- क्षेत्र का स्पर्श नहीं करता यावत् नियमतः छहों दिशाओं का स्पर्श करता है। २७२. भन्ते ! क्या द्वीप का अन्त सागर के अन्त का स्पर्श करता है ? सागर का अन्त भी द्वीप के अन्त का स्पर्श करता है ? हां, गौतम ! द्वीप का अन्त सागर के अन्त का स्पर्श करता है और सागर का अन्त भी द्वीप के अन्त का स्पर्श करता है यावत् नियमतः छहों दिशाओं का स्पर्श करता है । २७३. भन्ते! क्या पानी का अन्त जलयान के अन्त का स्पर्श करता है ? जलयान का अन्त भी पानी के अन्त का स्पर्श करता है ? हां, गौतम ! पानी का अन्त जलयान के अन्त का स्पर्श करता है और जल-यान का अन्त भी पानी के अन्त का स्पर्श करता है यावत् नियमतः छहों दिशाओं का स्पर्श करता है । २७४. भन्ते ! क्या छिद्र का अन्त वस्त्र के अन्त का स्पर्श करता है ? वस्त्र का अन्त छिद्र के अन्त का स्पर्श करता है ? हां, गौतम ! छिद्र का अन्त वस्त्र के अन्त का स्पर्श करता है और वस्त्र का अन्त भी छिद्र के अन्त का स्पर्श करता है यावत् नियमतः छहों दिशाओं का स्पर्श करता है । २७५. भन्ते ! क्या छाया का अन्त आतप के अन्त का स्पर्श करता है ? आतप का अन्त भी छाया के अन्त का स्पर्श करता है ? हां, गौतम ! छाया का अन्त आतप के अन्त का स्पर्श करता है और आतप का अन्त भी छाया के अन्त का स्पर्श करता है यावत् नियमतः छहों दिशाओं का स्पर्श करता है । क्रिया-पद २७६. भन्ते ! क्या जीवों के प्राणातिपात - क्रिया होती है ? ३५
SR No.032416
Book TitleBhagwati Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji, Mahendrakumar Muni, Dhananjaykumar Muni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2013
Total Pages546
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size14 MB
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