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जो होता है वह सब अच्छे के लिए
“जो होता है वह सब अच्छे के लिए होता है' – इस कहावत में से भी अपना हित साधने वाले जीव को कितनी शांति मिलती है, इस संबध में यहां कुछ प्रसंग द्रष्टव्य हैं। जैसे कि
सीताजी की अग्नि परीक्षा हुई सो वह अच्छे के लिए हुई; क्योंकि सीताजी को शीघ्र ही वैराग्य हो गया और उन्हें अर्जिका बनने का अवसर जल्दी मिल गया।
किसी सज्जन व्यक्ति की निंदा हुई तो वह अच्छे के लिए हुई; क्योंकि उसे निंदा सुनकर भी जागृति बनी रहती ।
सेठ सुदर्शन को फांसी की सजा हुई तो वह अच्छे के लिए हुई, क्योंकि इससे उन्हें संसार से विरक्त होकर दिगम्बर दीक्षा धारण कर केवलज्ञान प्रगट करने का अवसर शीघ्र ही प्राप्त हुआ।
इस संबध में एक लोककथा याद आती है कि - एक राजा था और एक दीवान था। जो कुछ भी होता था, उसी में समाधान प्रिय दीवान को भी अपने खुशाल भाई की तरह यह बोलने की आदत थी कि “जो होता है सब अच्छे के लिए"। एक बार ऐसा प्रसंग बना कि राजा और दीवान दोनों जगंल में गये, वहां राजा की एक अंगुली कट गई। तब सहज भाव से दीवान के मुख से निकल गया “जो होता है सब अच्छे के लिए।"
तब राजा मन में काफी क्लेशित हुआ कि एक तो मेरी अंगुली कट गई और ऊपर से दीवान कह रहा है “जो होता है सो अच्छे के लिए।"
राजा ने भी आगे मौका देखकर एक कुए के ऊपर लगी हुई झाड़ी के फल को तोड़ने हेतु दीवान से कहा। तब फल