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जैनधर्म की कहानियाँ भाग-१०/५२ तोड़ते समय दीवान अचानक कुए में जा गिरा। तब राजा द्वारा कुए में ढूकने पर राजा ने देखा कि दीवान तो कुए में पड़ा-पड़ा भी यही कह रहा है कि “जो होता है सब अच्छे के लिए' परन्तु फिर भी राजा दीवान के ऊपर हंसता हुआ वहां ही घूमता रहा। थोड़ी देर बाद वहां भीलों का एक समुदाय आ पहुंचा। और उसे राजा के पास पकड़ कर ले गया।
भीलों का राजा नरबलि चढ़ाने के लिए एक राजा को पाकर बहुत खुश हुआ और वलि चढ़ाने हेतु राजा का वध करने की तैयारी करने लगा। जब वध करने हेतु वधिक उसके ऊपर तलवार चलाने को तैयार हुआ, तभी एक भील की नजर उसकी उस कटी हुई अंगुली पर पड़ी और वह भील जोर से चिल्ला उठा कि रुको, यह मनुष्य बलि चढ़ाने योग्य नहीं है; क्योंकि इसकी एक अंगुलि कटी हुई है। और खंडित मनुष्य की बलि नहीं चढ़ाई जा सकती अन्यथा अपशकुन हो जायेगा। इसलिए इसे छोड़ दो, यह सुनकर भीलों के राजा ने उस राजा को छोड़ दिया।
राजा को भी तुरंत अपने दीवान की याद आई और उसने मन ही मन कहा- “जो होता है सब अच्छे के लिए" -क्योंकि यदि आज मेरी अंगुलि कटी हुई न होती तो अवश्य ही मेरा वध हो गया होता और यह सोचता हुआ राजा वहां से तत्काल