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________________ आप्तवाणी-५ सिर्फ ‘ज्ञानी पुरुष' ही सर्वदा सुखी रहते हैं मोक्ष में ही रहते हैं। उनके पास जाएँ तो आपका निबेड़ा आ जाएगा । नहीं तो भटकते रहना है । इस काल में शांति किस तरह रहे ? ' स्वरूप के ज्ञान' के बिना शांति किस तरह रहे? अज्ञान ही दुःख है । जाप किसका ? प्रश्नकर्ता : मन की शांति प्राप्त करने के लिए कौन - सा ऐसा जाप अधिक करें कि जिससे मन को विशेष शांति हो और भगवान की तरफ़ लक्ष्य रहे? ३५ दादाश्री : स्वरूप का जाप करें तो हो जाएगा । प्रश्नकर्ता : सहजात्मस्वरूप परमगुरु? दादाश्री : नहीं, वह स्वरूप का जाप नहीं है । वह भगवान की भक्ति है। स्वरूप का अर्थात् ‘आप कौन हो?' उसका जाप करो तो पूरी शांति मिल जाएगी। स्वरूप का जाप क्यों नहीं करते? प्रश्नकर्ता : मन में बहुत समय से प्रश्न उलझन में डाल रहा था कि किस तरह का जाप करने से शांति मिलेगी ? दादाश्री : स्वरूप का जाप करो तो निरंतर शांति मिलेगी, चिंता नहीं होगी, उपाधि (बाहर से आनेवाले दुःख) नहीं होगी । उसके लिए 'ज्ञानी पुरुष' के पास कृपापात्र बन जाना चाहिए । ज्ञानी मिलने के बाद साधनों की निरर्थकता प्रश्नकर्ता : अंत:करण की शुद्धि के लिए जो साधन बताए हैं, वे कितने अंशो तक ज़रूरी हैं? दादाश्री : कौन-से साधन ? प्रश्नकर्ता : जप-तप, वे सब । दादाश्री : जब तक साध्य वस्तु नहीं मिले, तब तक साधनों में
SR No.030016
Book TitleAptavani Shreni 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2011
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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