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आप्तवाणी-५
रहना चाहिए। परन्तु यदि 'ज्ञानी पुरुष' मिल जाएँ तो कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं है। 'ज्ञानी पुरुष' खुद ही सबकुछ कर देते हैं। और वे नहीं मिले हों, तो आपको कुछ न कुछ करना ही चाहिए। नहीं तो उल्टी चीजें घुस जाएँगी। शुद्धिकरण नहीं करो तो अशुद्धि ही होती रहेगी या नहीं होती रहेगी? इसलिए हमें रोज़ कचरा तो समेटना ही पड़ेगा न! 'ज्ञानी पुरुष' मिल गए हों तो उन्हें कहना कि, साहब, मेरा निबेड़ा ले आइए। तब 'ज्ञानी पुरुष' एक घंटे में ही सब कर देते हैं, फिर सिर्फ उनकी आज्ञा में रहना है कि 'चलती लिफ्ट में हाथ बाहर मत निकालना, नहीं तो हाथ कट जाएगा।
और पूरी लिफ्ट रोक देनी पड़ेगी।' यह तो मोक्ष में जाने की लिफ्ट है। ___मोक्ष में जाने के दो मार्ग हैं : एक 'क्रमिक' मार्ग और दूसरा 'अक्रम' मार्ग। क्रमिक अर्थात् 'स्टेप बाय स्टेप' सीढ़ियों से चढ़ना और 'अक्रम' अर्थात् लिफ्ट में ऊँचे जाना!
मोक्ष - अक्रम मार्ग प्रश्नकर्ता : मोक्ष को प्राप्त करने के लिए सीधा रास्ता नहीं है? दादाश्री : तुझे टेढ़ा चाहिए क्या?
प्रश्नकर्ता : टेढ़ा तो नहीं चाहिए, परन्तु सीधा नहीं मिल रहा है। 'मोक्ष प्राप्त करने के लिए रास्ता आसान नहीं है' ऐसा मेरा मानना है।
दादाश्री : हाँ। वह तो ठीक है। मोक्ष के लिए दो रास्ते हैं। कायम का तो एक ही रास्ता है। यह जो मुश्किल रास्ता आप कहते हो न, वही है। यह तो कभी ही ईनामी रास्ता निकल जाता है। यह दस लाख वर्ष में निकलता है! उसमें जिसे टिकिट मिल गई, उसका कल्याण हो गया! यह रास्ता हमेशा के लिए नहीं होता है। यह 'अक्रम विज्ञान' है और वह 'क्रम विज्ञान' है। क्रम अर्थात् स्टेप बाय स्टेप, सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़कर ऊपर जाना। और यह लिफ्ट है! लिफ्ट तुझे पसंद नहीं हो तो कोई हर्ज नहीं। हम तुझे क्रमिकवाला रास्ता दिखाएँगे। तुझमें सीढ़ियाँ चढ़ने की शक्ति है, फिर क्या बुरा है? और जिसे लिफ्ट पसंद हो, जिसमें शक्ति नहीं हो वह