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________________ आप्तवाणी-५ दादाश्री : ये सब 'कंट्रोल' में रहते हैं, 'आउट ऑफ कंट्रोल' नहीं होते, वह संयम नहीं कहलाता। संयम तो अलग ही वस्तु है। वे संयमधारी कहलाते हैं! जिसे यमराज नहीं पकड़ें, उनका नाम संयमी ! संयमधारी का भगवान ने बखान किया है। संयमधारी के तो दर्शन करने पड़ते है! यमराज को जिन्होंने वश में किया है!!! प्रश्नकर्ता : यमराज को वश में किया है, वह किस तरह? दादाश्री : यमराज वश हो चुके हैं, ऐसा कब कहा जाएगा कि जिसे मृत्यु का डर नहीं लगता हो, 'मैं मर जाऊँगा, मैं यमराज के कब्जे में हँ', ऐसा नहीं लगता हो, वह संयमधारी कहलाता है। संयम का अर्थ अभी लोग कहाँ से कहाँ ले गए हैं! भगवान की भाषा का शब्द एकदम निचली कक्षा में ले गए हैं। भगवान की निश्चय भाषा व्यवहार में ले आए हैं। अभी लोग जिसे संयम कहते है, वास्तव में वह संयम नहीं कहलाता। इसे तो 'कंट्रोल किया' कहा जाता है। मनुष्यों का 'कंट्रोल' कम होता है, इसलिए उन्हें 'कंट्रोल' करना पड़ता है। सभी जानवर कंट्रोलवाले हैं, सिर्फ मनुष्य ही 'डीकंट्रोल'वाले हैं। खुद का भान ही नहीं है। प्रश्नकर्ता : सत्ता है, परन्तु जिम्मेदारी का भान नहीं है। दादाश्री : जब कंट्रोल की संपूर्ण सत्ता हाथ में आ गई तब दुरुपयोग किया। इसलिए खुद निराश्रित हो गया! इन गाय-भैंसों को चिंता होती है क्या ? प्रश्नकर्ता : नहीं। दादाश्री : तब सिर्फ इन मनुष्यों को ही चिंता होती है। क्योंकि सत्ता का दुरुपयोग किया। चिंता खड़ी हुई कि खुद निराश्रित हुआ। 'मेरा क्या होगा?' ऐसा जिस-जिसको होता है वे सब निराश्रित हैं।
SR No.030016
Book TitleAptavani Shreni 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2011
Total Pages216
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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