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आप्तवाणी-५
हम किसीसे झूठ बोलें तो उसे कितना दु:ख होगा? अणहक्क का नहीं भोगते। अणहक्क का भोगते हैं क्या लोग?
प्रश्नकर्ता : बहुत लोग भोगते हैं।
दादाश्री : अरे, पत्नी भी उठाकर ले जाते हैं न लोगों की! खुद के हक़ की पत्नी रखनी चाहिए। यह तो पत्नी दूसरे की ढूंढ़ लाते हैं! हक़ की, खुद की स्त्री हो तो कोई बातें नहीं करेगा, घर के लोग भी नहीं डाँटेंगे। यानी कौन-से गड्ढे में गिरना अच्छा?
प्रश्नकर्ता : हक़ के।
दादाश्री : अणहक्क का गड्ढा तो बहुत गहरा है! वापिस ऊपर आया ही नहीं जाएगा। इसलिए सावधानी से चलना अच्छा है। यानी तू सावधान हो जाना। यह जवानी है इसलिए यह भय सिग्नल तुझे बता रहे हैं, जिसे बुढ़ापा आनेवाला हो उसे हम ऐसा नहीं कहते।
प्रश्नकर्ता : हाँ, हाँ, नहीं ले जाऊँगा, दूसरे की पत्नी नहीं ले जाऊँगा।
दादाश्री : हाँ, ठीक है। ले जाने का विचार भी मत करना। किसी स्त्री के प्रति आकर्षण हो तब, 'हे दादा भगवान! मुझे माफ कर दीजिए', कहना।
अणहक्क का पैसा नहीं छीनते, इस मुंबई शहर में लोग मिलावट नहीं करते हैं न?
प्रश्नकर्ता : व्यापारी करते तो हैं।
दादाश्री : तो कोई जान-पहचानवाला हो उसे सावधान करना कि, 'चार पैरवाला बनना हो तो मिलावट करो।' वर्ना फिर भी आप भूखे नहीं मरोगे, उसकी हम गारन्टी देते हैं। कुछ समझना तो चाहिए न? हम कौनसे देश के हैं?
प्रश्नकर्ता : भारत देश के हैं। दादाश्री : भारत देश के हैं हम! तो हमारी क्वॉलिटी कौन-सी है?