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________________ निरुक्त कोश २१८. आरन्निय (आरण्यिक) अरन्ने वसंतीति आरन्निया । (दश्रुचू प १३) जो अरण्य/जंगल में रहते हैं, वे आरण्यक हैं । २१६. आराम (आराम) आगत्य रमंते यस्मिन् इत्यारामः । (सूचू २ पृ ४५१) जहां आकर लोग क्रीड़ा करते हैं, वह आराम है । आरमन्ति येषु माधवीलतादिषु दम्पत्यादीनि ते आरामाः । (भटी प २३८) जहां माधवी आदि लताओं से बने कुञ्जों में दम्पति आकर क्रीड़ा करते हैं, वे आराम हैं। २२०. आराहग (आराधक) आराधयन्ति-अविकलतया निष्पादयन्ति सम्यग्दर्शनादीनि इत्याराधका भवन्ति । (उशाटी प २३३) जो सम्यग्दर्शन आदि की पूर्ण आराधना करते हैं, वे आराधक २२१. आरिय (आर्य) आराद्याताः सर्वहेयधर्मेभ्य इत्यार्याः। (सूटी २ प १५) जो सब हेय धर्मों से दूर रहते हैं, वे आर्य हैं । २२२. आरोवणा (आरोपणा) आरोप्यते इति आरोपणा। (व्यभा १ टी प १५) जो आरोपित की जाती है, वह आरोपणा/प्रायश्चित्त है । २२३. आलंबण (आलम्बन) आलंबिज्जति जं तमालंबणं । (निचू १ पृ १२६) १. 'आर्य' का अन्य निरुक्तअर्यतेऽभिगम्यते आर्यः । (अचि पृ ८८) जो (प्रशस्त रूप में) जाना जाता है, वह आर्य है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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