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________________ निरुक्त कोश १६१. आउवेद (आयुर्वेद) आयुः-जीवितं तद्विदन्ति रक्षितुमनुभवन्ति चोपक्रमरक्षणे विदन्ति वा-लभन्ते यथाकालं तेन तस्मात्तस्मिन् वेत्यायुर्वेदः । (स्थाटी प ४१०) जिसके द्वारा आयु/जीवन के रक्षण और पोषण का ज्ञान होता है, वह आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र है। १६२. आउस (आयुष्मत्) आयुः-जीवितं तत्संयमप्रधानतया प्रशस्तं प्रभूतं वा विद्यते यस्यासावायुष्मान् । (स्थाटी प ७) जो प्रशस्त आयु/जीवन वाला है, वह आयुष्मान् है । जो दीर्घायु है, वह आयुष्मान् है । १६३. आउह (आयुध) आयुध्यतेऽनेनेत्यायुधम् । (राटी प २८०) जिससे युद्ध किया जाता है, वह आयुध/शस्त्र है। १६४. आएस (आदेश) आगतो आदेसं करोतीति आएसो।' (निचू ३ पृ ३६) जो आकर आदेश देता है, वह आदेश/अतिथि है। आदिश्यते यस्मिन्नागते संभ्रमेण परिजनस्तदासनदानादिव्यापारे स आदेशः। (सूटी २ प ३९) जिसके आने पर परिजनों को त्वरता से आसन आदि देने के लिए आदेश दिया जाता है, वह आदेश/अतिथि है। आयासकर आदेशः। __जो आयास/श्रम पैदा करता है, वह आदेश/अतिथि है। आदेश्यते सत्कारपुरस्सरमाकार्यत इत्यादेशः। (व्यमा ६ टी प १) जिसे सत्कारपूर्वक पुकारा जाता है, वह आदेश/अतिथि है। १६५. आगंतार (आगन्त्रगार) आगंतु जत्थ आगारा चिट्ठति तं आगंतारं। (आचू पृ ३१२) जहां आकर गृहस्थ ठहरते हैं, वह आगंगार/धर्मशाला है। १. आदेश आवेशो वा नाम ज्ञातिकाः स्वजनः सुहृद् मित्रं प्रभु नायकः परतीथिको वा। (व्यभा ६ टी प १) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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