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________________ निरुक्त कोश ७६. अणुसंसरण ( अनुसंसरण) अणु कह संसरति अणुसंसरति । ( आचू पृ १३ ) कर्मों से अनुगत होकर संसरण / जन्म-मरण करना अनुसंसरण है । ७७. अणुसार (अनुस्वार) अणुस्सारं नाम पम्हुट्ठे अत्थे सतं संभरिते अण्णेण अक्खरविरहितं सद्दकरणं तमणुस्सारं भण्णइ । ७८. अण्णगिलाय ( अन्नग्लायक ) विस्मृत अर्थ का स्वयं द्वारा स्मरण करने पर अथवा दूसरे द्वारा कराए जाने पर जो अक्षर रहित शब्द किया जाता है, वह अनुस्वार है | अन्नं भोजनं विना ग्लायति अन्नग्लायकः । ( औटी पृ७४ ) जो अन्न / भोजन के बिना ग्लान होता है, वह अन्नग्लायक है । ७६. अण्णतरग (अन्यतरक ) एकस्मिन् काले आत्मपरयोरन्यमन्यतरं तारयन्तीति अन्यतरकाः । (व्यभा ३ टीप ३) ८०. अण्णव (अर्णव) जो एक समय में स्व या अन्य — दोनों में से एक को तारते हैं, वे अन्यतरक हैं । अतरणशीलो अण्णवो ।' १५ वा संभारिते जं ( आवचू १ पृ ३० ) जिसे तैरना संभव नहीं, वह अर्णव / समुद्र है । ८१. अण्णा चरक ( अज्ञातचरक ) १. 'अर्णव' का अन्य निरुक्त अर्णासि सन्त्यस्य अर्णवः । (अचि पृ २३८ ) जिसमें अणं / जल होता है, वह अर्णव है । Jain Education International अज्ञातः - अनुपर्दाशतस्वाजन्यद्धिमत्प्रव्रजितादिभाव: सन् चरति - भिक्षार्थ मटतीत्यज्ञातचरकः । ( स्थाटी प २८७ ) जो अज्ञात रहकर भिक्षाचरण करता है, वह अज्ञात चरक है । For Private & Personal Use Only ( उचू पृ १९९३) www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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