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________________ निरुक्त कोश १३ गच्छन्तमनुगच्छतीत्यनुगामिकः । (सूटी २ प ६१) जो चलने वाले का अनुगमन करता है, वह अनुगामिक है। ६३. अणुग्गह (अनुग्रह) अनुगृह्यते इति अनुग्रहः । (व्यभा २ टी प १०) अनुग्रहण/अभीष्ट सम्पादन करना अनुग्रह है। ६४. अणुजुत्ति (अनुयुक्ति) अनुयुज्यते इति अनुयुक्तिः । अनुगता अनुयुक्ता वा युक्तिः अनुयुक्तिः । (सूचू १ पृ.६३) अनुयोजन करना अनुयुक्ति है। अनुरूपा युक्तिः अनुयुक्तिः । (सूचू १ पृ १९७) अनुरूप कथन करना अनुयुक्ति है । ६५. अणुजोग (अनुयोग) अणुणा जोगो अणुजोगो। (बृभा १६०) __ अणु/सूत्र के साथ अर्थ का योजन अनुयोग है। जोगोत्ति वावारो जो सुत्तस्स सोऽणुरूवो अणुकूलो वा अनुयोगः । (अनुद्वाचू पृ ५) सूत्र के अनुरूप या अनुकूल योग/प्रवृत्ति करना अनुयोग है। ६६. अणुण्णा (अनुज्ञा) अनुज्ञायते वाऽनयेति अनुज्ञा । (नंटी पृ १७०) जिससे जाना जाता है, वह अनुज्ञा/गुरुवचन है। ६७. अणुतापि (अनुतापिन्) अनु-पश्चात् हा दुष्ठुकृतं हा दुष्ठुकारितमित्यादिरूपेण तपति सन्तापमनुभवतीत्येवंशीलोऽनुतापी। (व्यभा ३ टी प ११०) जो अनु/बाद में संताप का अनुभव करता है, वह अनुतापी है। ६८. अणुत्तर (अनुत्तर) न विद्यन्ते उत्तराः प्रधानाः स्थितिप्रभावसुखयुतिलेश्यादिभिरेभ्योऽन्ये देवा इत्यनुत्तराः। __(उशाटी प ७०२) जिनसे दूसरे देव उत्तर प्रधान नहीं हैं, वे अनुत्तर देव हैं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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