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________________ निरक्त कोश निलयो जस्स नत्थि सो अणिलो। (दजिचू पृ २२५) जिसके निलय/स्थान नहीं है, वह अनिल/पवन है । ५६. अणु (अणु) अणतीत्यणुः । (उचू पृ १५६) जो सदा अपने अस्तित्व को बनाए रखता है, वह अणु है। ६०. अणुंधरि (अणुन्धरिन्) अणुं सरीरं धरेति अणुंधरी। (दश्रुचू प ६५) जो अणु/लघु शरीर को धारण करता है, वह अणुंधरी/ सूक्ष्मजीव है। ६१. अणुगम (अनुगम) अनुगम्यतेऽनेनास्मिंश्चेति अनुगमः । (उचू पृ६) जिसके द्वारा सूत्र का अनुसरण अथवा सूत्र के अर्थ का स्पष्टीकरण किया जाता है, वह अनुगम/व्याख्या है। अथातो सुत्तं अणु, तस्स अणुरूवगमणत्ताओ अनुगमो । (अनुद्वाचू पृ १८) अर्थ से सूत्र अणु/लघु होता है । उसके अनुरूप गमन करना अनुगम है। सूत्रार्थानुकूलगमनं वा अनुगमः। (अनुद्वाचू पृ २३) सत्र और अर्थ के अनुकूल गमन करना अनुगम है । सूत्रपठनादनुपश्चाद् गमनं-व्याख्यानमनुगमः। अनुसूत्रमर्थों गम्यते-ज्ञायते अनेनेत्यनुगमः ॥ ___ (अनुद्वामटी प ५४) सूत्र पढने के पश्चात् गमन/व्याख्यान करना अनुगम है । जिसके द्वारा सूत्रानुसारी ज्ञान होता है, वह अनुगम है। ६२. अणुगामि (अनुगामिन्) अणुगमणसोलो अणुगामितो। (नंचू पृ १५) जो अनुवर्तन करता है, वह अनुगामिक है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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