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________________ निरक्त कोश २६३ १५५५. सत्थ (शस्त्र) शस्यते अनेनेति शस्त्रम् । (सूचू १ पृ १७७) जिसके द्वारा मारा जाता है, वह शस्त्र है । १५५६. सत्थवाह (सार्थवाह) सार्थो विद्यते यस्येति व्युत्पत्त्या सार्थवाहः। यस्य वा वशेन सार्थो व्रजति सः सार्थवाहः। (बृटी पृ ८६८) जिसके साथ सार्थ/संघ होता है, वह सार्थवाह है। सार्थ जिसके वशवर्ती होकर चलता है, वह सार्थवाह है। १५५७. सत्थु (शास्तृ) शासतीति शास्ता। (सूचू १ पृ २३६) जो शासन करता है, वह शास्ता है । १५५८. सद्द (शब्द) शब्द्यते-प्रतिपाद्यते वस्त्वनेनेति शब्दः। (आवमटी ५ ३७५) जिसके द्वारा वस्तु का प्रतिपादन किया जाता है, वह शब्द . शप्यते वाहूयते वस्त्वनेनेति शब्दः। (विभामहेटी २ पृ १३) वस्तु जिसके द्वारा पहचानी जाती है, वह शब्द है । १५५६. सद्दिय (शब्दित) ___ शब्दः-प्रसिद्धिः स संजातो यस्य तच्छब्दितम्। (ज्ञाटी प ४) जिसे शब्द/प्रसिद्धि प्राप्त है, वह शब्दित/प्रसिद्ध है । १५६०. सप्पि (सपिन्) सर्पतीति सी। (प्रटी प १६२) जो वैशाखी के सहारे सर्पण/गमन करता है, वह सी/पंगु १. सार्थान् सधनान् सरतो वा पान्थान् वहति सार्थवाहः। (अचि पृ १६१) १. सी-पीठसी स किल पाणिगृहीतकाष्ठः सर्पतीति । (प्रटी प १६२) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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