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________________ निरुक्त कोश १३१ ६७३. णिप्पग्गह (निष्प्रग्रह) निर्गतः प्रग्रहादिति निष्प्रग्रहः। (बृटी पृ २११) जो प्रग्रह/नियंत्रण से निर्गत/रहित है, वह निष्प्रग्रह/ अनियन्त्रित है। ६७४. णिन्भयणा (निर्भजना) निश्चिता भजना निर्भजना। (आटी प ८६) जिसमें भाग/विकल्प निश्चित होता है, वह निर्भजना है । ६७५. णिम्मद्दय (निर्मर्दक) निरन्तरं मृनन्ति ये ते निर्मर्दकाः। (प्रटी प ४६) जो निरन्तर मर्दन करते हैं, वे निर्मर्दक/चोर विशेष हैं। ६७६. णियडि (निकृति) अधिका कृति निकृतिः। (दश्रुचू प ३७) ___अधिक कृति उपचार निकृति/भाया है। ६७७. णियतिक (नयतिक) नियतिर्व्यवस्था तत्र नियुक्तास्तथा वा चरन्तीति (नै) नियतिकाः । (व्यभा ३ टी प १३२) जो धान्य आदि की नियति व्यवस्था करते हैं, वे नैयतिक ६७८. णियाग (नियाग) यजनं यागः नियतो निश्चितो वा यागो नियागः । (आटी प ४२) जिसमें याग/ज्ञान-दर्शन-चारित्र की निश्चित संगति/समन्विति है, वह नियाग/मोक्षमार्ग है । १. यज्-संगतार्थत्वाद्धातोः सम्यग्ज्ञानदर्शनचारित्रात्मतया गतं संगतमिति । (आटी प ४२) २. नियागं णाम चरित्तं पडिवण्णो । (सूचू २ पृ ३०८) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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