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________________ निरक्त कोश १११ यतते सर्वात्मना संयमानुष्ठानेष्विति यतिः। (बृटी पृ ६३) जो संयम-अनुष्ठान में यत/प्रयत्नशील है, वह यति/मुनि है । ५७१. जंतु (जन्तु) जायंतीति जंतवो। (आचू पृ २०५) जननाज्जन्तुः। (भटी पृ १४३२) जो जन्म लेते हैं, वे जंतु हैं। ५७२. जंबूदीवपण्णत्ति (जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति) जम्ब्वा-सुदर्शनापरनाम्न्याऽनादृतदेवावासभूतयोपलक्षितो द्वीपो जंबूद्वीपस्तस्य प्रकर्षेण-निःशेषकुतीथिकसार्थागम्य यथावस्थितस्वरूप निरूपणलक्षणेन ज्ञप्तिः-ज्ञापनं यस्यां ग्रंथपद्धतौ, ज्ञप्तिर्ज्ञानं वा यस्याः सकाशात् सा जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिः । जम्बू सुदर्शन नाम के देवता से अधिष्ठित द्वीप जम्बूद्वीप है। उस द्वीप के अन्तहित मत-मतान्तरों की सम्यक् ज्ञप्ति/अवगति देने वाला ग्रंथ जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति है। जंबूद्वीपं प्रान्ति-पूरयन्ति स्वस्थित्येति जंबूद्वीपप्राः जगतीवर्षवर्षधराद्यास्तेषां ज्ञप्तिर्येषां सकाशात् सा जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिः । (जंटी प ४) जंबूद्वीप जगती, क्षेत्र और सीमांतक पर्वतों के द्वारा परिपूर्ण है। उन सबकी ज्ञप्ति ज्ञान जिस ग्रंथ से होता है, वह जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति है। ५७३. जक्ख (यक्ष) यांति क्षयमिति यक्खा। (उचू पृ १००) जो क्षय/निवास स्थान को शीघ्र बदल लेते हैं, वे यक्ष हैं। यान्ति वा तथाविद्धिसमुदयेऽपि क्षयमिति यक्षाः । जो विशिष्ट ऋद्धि के होने पर भी क्षय/मृत्यु को प्राप्त होते हैं, वे यक्ष हैं। 8. Swift creatures, changing their abode quickly and at will. (पा पृ ५४५) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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