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________________ ५ 'निरुक्त कोश ४६३. गलि (गलि) गिलत्येव केवलं न तु वहति गच्छति वेति गलिः । (उशाटी प ४६) __ जो केवल खाता है, न भार ढोता है और न चलता है, वह गलि दुष्ट बैल है। ४६४. गव (गो) गच्छतीति गौः । (उचू पृ १५१) जो गति करती है, वह गौ/गाय है । ४६५. गाधा (गाथा) गायतीति गीयते वा गाधा । (सूचू १ पृ २४५) जो गाई जाती है, वह गाथा है । गीयते-शब्द्यते स्वपरसमयस्वरूपमस्यामिति गाथा। (उशाटी प ६१४) जिसमें स्वसिद्धान्त और परसिद्धांत का निरूपण किया जाता है, वह गाथा है। ४९६. गाम (ग्राम) असति बुद्धिमादिणो गुणा इति गामो। (दअचू पृ ९६) ___ जो बुद्धि आदि गुणों को ग्रसित करता है, वह ग्राम है। १. 'गौ' का अन्य निरुक्त गच्छत्यनेन गौः । (आप्टे पृ ६७१) जिससे घी, दूध, चमड़ा आदि सब कुछ प्राप्त होता है, वह गौ/गाय २. 'ग्राम' का अन्य निरुक्तप्रस्यते कुण्ठेरिति ग्रामः । (अिच पृ २१२) जहां अशिक्षित व्यक्ति वास करते हैं, वह ग्राम है। अट्ठारसण्हं करभराणं गंमो गमणिज्जो वा गामो । (आचू पृ २८१) जहां अठारह प्रकार के कर लगते हैं, वह ग्राम है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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