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________________ ( ८६ ) अहवेगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ४ एते चत्तारि भंगा,अहवेगे यआहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य ४ चत्तारि भंगा, अहवेगे य आहारगसरीरकायापओगी य कम्मासरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य कम्मासरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य कम्मासरीरकायप्पओगीय ३ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य कम्मगसरीरकायप्पओगिणो य ४ चउरो भंगा, अहवेगे य आहारगमीसगसरीरकायप्पभोगी य कम्मगसरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य आहारगमीसगसरीरकायप्पओगी य कम्मगसरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य आहारगमीसगसरीरकायप्पओगिणो य कम्मगसरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य आहारममीसगसरीरकायप्पयोगिणो य कम्मगसरीरकायप्पओगिणो य ४ चत्तारि भंगा, एवं चउवीसं भंगा। -पण्ण० ५ १६ । सू १०८३ । पृष्ठ० २६४-६५ अस्तु द्विकसंयोग में प्रयैक के एकवचन और बहुवचन में औदारिकमिश्र और आहारकपद के चार भंग होते हैं। इस प्रकार ही औदारिकमिश्र और आहारकमिश्र पद के चार भंग होते हैं। औदारिक मिश्र और कार्मन के चार भंग होते हैं। आहारक और आहारकमिश्र के चार भंग होते हैं। आहारक और कार्मण के चार भंग होते हैं और आहारकमिश्र और कार्मण के चार भंग होते हैं। इस प्रकार सर्व मिलकर विकसंयोग में चौबीस भंग होते हैं। यथा १-अथवा एक औदारिकमिश्रशरीर काय प्रयोगवाला और एक आहारकशरीर कायप्रयोगवाला होता है। २-अथवा एक औदारिकमिश्रशरीर कायप्रयोगवाला और कितनेक आहारकशरीर कायप्रयोगवाले होते हैं। ३-अथवा कितनैक औदारिकमिश्रशरीर कायप्रयोगवाले और एक आहारकमिश्रशरीर कायप्रयोगवाला होता है। ४.-अथवा कितनेक औदारिकमिश्रशरीर कायप्रयोगवाले और कितनेक आहारकशरीर कायप्रयोगवाले होते हैं। इस प्रकार चार भंग-विकल्प होते हैं। १-अथवा एक औदारिकमिश्रशरीर कायप्रयोगवाला और एक आहारकशरीर कायप्रयोगवाला होता है। २. अथवा एक औदारिकमिश्रशरीर कायप्रयोगवाला और कितनेक आहारकमिश्रशरीर कायप्रयोगवाले होते हैं। ३-अथवा कितनेक औदारिकमिश्रशरीर कायप्रयोगबाले और एक आहारकमिश्रशरीर कायप्रयोगवाला होता है। ४-अथवा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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