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________________ ( ८७ ) कितनेक औदारिकमिश्र शरीर काय प्रयोगवाले और कितनेक आहारकमिश्र शरीर-काय प्रयोगवाले होते हैं । इस प्रकार चार भंग-होते हैं । १-अथवा औदारिकमिश्र शरीर काय प्रयोगवाला और एक कार्मण शरीर काय प्रयोगवाला होता है । २-अथवा एक औदारिकमिश्र शरीर काय प्रयोगवाला और कितनेक कार्मण शरीर काय प्रयोगवाले होते हैं। ३-अथवा कितनेक औदारिमिश्र शरीर कायप्रयोगवाले और एक कार्मण शरीर प्रयोगवाला होता है। ४ – अथवा कितनेक औदारिकमिश्र शरीर काय प्रयोगवाले और कितनेक कार्मण शरीर काय प्रयोगवाले होते हैं। इस प्रकार चार भंग होते हैं। १-अथवा एक आहारक शरीर कायप्रयोगवाला और एक आहारकमिश्र शरीर कायप्रयोगवाला होता है। २-अथवा एक आहारक शरीर कायप्रयोगवाला और कितनेक आहारकमिश्र शरीर काय प्रयोगवाला होता है। ३-अथवा कितनेक आहारक शरीर काय प्रयोगवाले और एक आहारकमिश्र शरीर काय प्रयोगवाले होते हैं । ४-- अथवा कितनेक आहारक शरीर काय प्रयोगवाले और कितनेक आहारकमिश्र शरीर काय प्रयोगवाले होते हैं । इस प्रकार चार भंग होते हैं । १-अथवा एक आहारक शरीर काय प्रयोगवाला और एक कार्मण शरीर काय प्रयोगवाला होता है। २-अथवा एक आहारक शरीर काय प्रयोगवाला और कितनेक कार्मण शरीर प्रयोगवाले होते हैं। ३-अथवा कितनेक आहारक शरीर काय प्रयोगवाले और एक कार्मण शरीर काय प्रयोगवाला होता है। ४ -अथवा कितनेक आहारक शरीर काय प्रयोगवाले और कितनेक कार्मण शरीर काय प्रयोगवाले होते हैं। इस प्रकार चार भंग होते हैं। १-अथवा एक आहारकमिश्र शरीर काय प्रयोगवाला और एक कार्मण शरीर काय प्रयोगवाला होता है । २-अथवा एक आहारकमिश्र शरीर काय प्रयोगवाला और कितनेक कार्मण शरीर काय प्रयोगवाले होते हैं। ३.-अथवा कितनेक आहारकमिश्र शरीर काय प्रयोगवाले और एक कार्मण शरीर काय प्रयोगवाला होता है। ४-अथवा कितनेक आहारकमिश्र शरीर काय प्रयोगवाले और कितनेक कार्मण शरीर काय प्रयोगवाले होते हैं। इस प्रकार चार भंग होते हैं । इस प्रकार सब मिलकर (४ x ६) चौबीस भंग होते हैं । सयोगी मनुष्य के विभाग (निक भंग) अहवेगे य ओरालियमीसगसरीरकायप्पओगी य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसगसरीरकायप्पओगी प १ अहगे य ओरालियमीसासरीरकायप्पयोगी य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसगसरीरकायप्पओगिणो प २ अहवेगे य ओरालियमोसगसरीरकायप्पओगी म माहारगसरीरकायप्पओगिणो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016029
Book TitleYoga kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1996
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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