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________________ में रूचि रखने वाली भव्य आत्माओं को अहिंसा, के आचरण हेतु जो धार्मिक आचार संहिता सत्य, अपरिग्रह आदि व्रतों के साथ अचौर्य व्रत अढ़ाई हजार वर्ष पूर्व उद्घोषित की थी उसमें पालन करने का उपदेश दिया। उन्होंने जहां श्रमण आज के गतिशील विश्व की आर्थिक समस्यों का मुनियों को पूर्ण प्रचौर्यव्रत धारण करने का उपदेश समाधान ठोस रूप से निहित हैं। यह प्राचार दिया वहां गृहस्थ श्रावकों को अचौर्य अणुब्रत पालने संहिता यदि समुचित रूप से सामाजिक जीवन का करने को कहा। तीर्थकर महावीर ने कहा कि जो अंग बन जावे तो व्यक्ति, समाज और राष्ट्र इससे व्यक्ति या समाज वस्तुत: प्रात्मविजेता के पथानु- लाभान्वित, सम्पन्न एवं सुखी हो सकेंगे, साथ ही सरणका आकांक्षी है वह अचौर्यव्रत के परिपालन के शोषण विहीन समाज की स्थापना भी सम्भव हो साथ न तो किसी चोरी करने को प्रेरित करेगा सकेगी। ठीक है सत्य कालातीत एवं लोकातीत और न चोरी करने का उपाय ही बतावेगा। वह होता है वह किसी भी शर्त, बन्धन या परिस्थिति से चोरी की गयी वस्तु का क्रय-विक्रय भी नहीं अप्रभावित होता है। करेगा। न्यूनाधिक माप तौल के बांटों का उपयोग समानरूप से अचौर्य व्रत व्यक्तिगत जीवन को नहीं करेगा । भ्रष्ट क्रिया द्वारा वस्तुओं में मिलाकर उन्हें उच्च कीमत पर विक्रय नहीं करेगा। निस्पृह, शांत, निर्विकल्प एवं आत्म शुद्धि परक तो बनाता ही है, सामाजिक तथा राष्ट्रीय जीवन को राज्य की आज्ञा या कानून के विपरीत कोई भी स्वस्थ एवं ठोस आधार भी प्रदान करने वाला है। कार्य अर्थात करवंचन एवं कूटलेख आदि चोरी से आवश्यकता है कि भौतिक एवं जड़ वस्तुओं के सम्बन्धित कुकृत्यों से अपने को दूर रखेगा। प्रति ममत्व छोड़कर अचौर्य व्रत का परिपालन अाधुनिक सामाजिक आर्थिक जगत् में व्याप्त करें जिससे कि व्यक्तिगत, सामाजिक एवं राष्ट्रीय व्याधियों का प्रत्यक्ष ज्ञान सर्वदर्शी तीर्थकर आर्थिक ब्याधियां दूर हों और आत्म कल्याण से महावीर को था यही कारण है कि उन्होंने गृहस्थों मानव जीवन की सार्थकता सिद्ध हो सके। मै० प्रो० पी० मिल्स अमलाई __जि० शहडोल (म० प्र०) 1/57 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014033
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1981
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchand Biltiwala
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1981
Total Pages280
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size20 MB
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