SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महावीर मनीषियों को दृष्टि में भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त मुझे बहुत पिय हैं । मेरी हादिक इच्छा है कि मैं मृत्यु के बाद जैन परिवार में जन्म लू। -जार्ज बनार्ड शॉ भगवान महावीर अलौकिक महापुरुष थे । तपस्वियों में आदर्श, विचारकों में महान् , अात्मविकास में अग्रसर, दर्शनकार और उस समय की प्रचलित सभी विद्यानों में पारगंत थे। -डा० लाजमन जर्मनी महावीर स्वामी ने अपने ज्ञान और अहिंसा सिद्धान्त से संसार की भौतिक वादी आस्था और नीति को नष्ट कर दिया। --श्रीमती मेरी बॉन, जर्मनी दुनिया में एक्य और शान्ति चहाने वालों का ध्यान भगवान महावीर की दी हुई शिक्षामों की ओर आकृष्ट हुए बिना नहीं रह सकता। --डा० बाल्टर, जर्मनी भगवान महावीर ने सर्वागीण सत्य, सम्पूर्ण नैतिक शुचिता एवं अखण्ड बह्मचर्य का जीवन व्यतीत किया जो सभी जीवों को अभयदान देती है। -हरवर्ट वारैन, लदंन भगवान महावीर को जिन और वीर कहना सार्थक है । आज के युग में विश्व को उनके आदर्श व सिद्धान्तों की आवश्यकता है। -डा० फर्नेण्डी वेल्लिनी फिलिप्पी, इटली 1/58 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.014033
Book TitleMahavira Jayanti Smarika 1981
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanchand Biltiwala
PublisherRajasthan Jain Sabha Jaipur
Publication Year1981
Total Pages280
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSeminar & Articles
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy