SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 181
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२ : सरस्वती-वरवपुत्र पं० बंशोधर व्याकरणाचार्य अभिनन्दन-ग्रन्थ सम्भवतः यही कारण रहा है। अन्वयोंके नामकरण जैसे उनकी मूल निवासभूमियोंपर हए, ऐसे ही गोत्रोंके नाम भी उनके मूल निवासस्थानोंके नामोंपर रखे गये ज्ञात होते हैं। जिन गोत्रोंके नाम इस प्रकारके प्रतीत होते हैं उनके मूल निवासस्थानोंका परिचय निम्न प्रकार है१ चन्देरिया : इस बैंकका नाम चन्देरी, जो थूबन (थूबोन) के पास है, के नामपर रखा गया ज्ञात होता है। २ पपौरहा : मध्यप्रदेशके टीकमगढ़ जिलेमें टीकमगढ़से नातिदूर पपौरा एक अतिशय क्षेत्र है। यहाँ संवत् १२०२ के दो मूर्तिलेख ऐसे हैं, जिनमें गोलापूर्वान्वयका उल्लेख हुआ है । अतीतमें इस अन्वयके परिवारोंकी यह आवासभूमि रही है। वे किसी कारणवश अन्यत्र चले गये । परन्तु उन्होंने अपनी जन्मभूमिको नहीं भुलाया। उन्होंने पपौराके मूलनिवासी होनेके कारण अपने गोत्रका नाम 'पपोरहा' रखा।। ३ बनोनहा : यह नाम बुन्देलखण्डके 'बनेड़िया' ग्रामके नामपर रखा गया जान पड़ता है । इस ग्रामकी स्थिति ज्ञात नहीं हो सकी है। ४ भर्तपुरिया : सेंदपा और मलहराके बीच 'भरतपुरा' एक ग्राम है। इस ग्रामके नामपर इस गोत्रका नाम प्रसिद्ध हुआ ज्ञात होता है । ५ बरघरिया : यह नाम मूलतः 'बरखरिया' ज्ञात होता है । रहलीके पास 'बरखेरा' नामके नामपर इसका नामकरण हुआ होगा । इस ग्राममें आज भी गोलापूर्वोका आवास है। ६ बेरिया : टीकमगढ़ जिलेमें एक 'बेरी' नामक ग्राम बताया गया है, जिसके नामपर इस गोत्रका नाम रखा गया। आगरा-शिवपुरी रोडपर बसे 'बरई' गाँवके नामपर भी यह नाम रखा जाना संभावित है। ७ इन्द्रमहा : जबलपुर जिलेमें सिहोरा-मझगवाँके पास एक 'इन्द्राना' नामका ग्राम है। जहाँ जैन भी हैं। इस गोत्रका नाम इसी ग्रामके नामपर रखा गया ज्ञात होता है। ८भिलसैंया : टोकमगढ़ जिलेके 'भेलसी' ग्रामके नामपर इस गोत्रका नाम रखा गया प्रतीत होता है । ९ जनहारिया : इस गोत्रका नाम मूलतः 'जतहारिया' होना चाहिए । टीकमगढ़से पास एक 'जतारा' ग्राम है। उसके नामपर इसका नामकरण हुआ कहा जा सकता है । १० जुझोतिया : 'जुझार' ग्रामके नामपर इसका नाम रखा गया है । ११ तिगेले : यह बुन्देलखण्डके 'तिगोडा' ग्रामके नामपर रखा गया। १२ घौनी : मलहराके पास 'धिनौची' ग्रामका सूचक है। १३ पेथवार : विदिशासे ५० मील दूर उत्तर-पूर्व में स्थित पथारि ग्रामपर इसका नामकरण हुआ है। १४ रहदेले : इस गोत्रके श्रावक सम्भवतः मूलरूपसे 'रहली' के वासी थे। १५ गोदरे : यह नाम या तो खनियाधानासे आठ किलो मीटर दूर स्थित 'गूडर' या 'गोंदलमऊ' ग्रामके नामपर रखा गया है। १६ गुगौरिया : बण्डा तहसीलके "गूगरा" ग्राम पर यह नाम रखा गया है । १७ ववोलिया : यह नाम मूलतः बमोलिया होगा और “बम्हौरी" ग्रामके नाम पर इसका नामकरण हुआ होगा। १८ सरखडे १९ टीकाके : इस गोत्रका नाम दमोह जिलेके "सरखड़ी" ग्रामके नाम पर रखा गया हो। : यह सागर जिले के 'टीकापार" ग्रामका सूचक है । Jain Education International ! For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012047
Book TitleBansidhar Pandita Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherBansidhar Pandit Abhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages656
LanguageHindi, English, Sanskrit
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy